Top
Begin typing your search above and press return to search.

विपक्ष के जाति जनगणना के मुद्दे की काट के लिए जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट विशेष सत्र में पेश कर सकती है सरकार

देश में ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे विरोधी दलों के जाति जनगणना के मुद्दे की काट के लिए सरकार हर संभव उपायों पर विचार कर रही है

विपक्ष के जाति जनगणना के मुद्दे की काट के लिए जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट विशेष सत्र में पेश कर सकती है सरकार
X

नई दिल्ली। देश में ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे विरोधी दलों के जाति जनगणना के मुद्दे की काट के लिए सरकार हर संभव उपायों पर विचार कर रही है।

अब यह बताया जा रहा है कि विपक्षी दलों के तीखे हमलों की धार को कम करने के लिए सरकार जल्द ही अन्य पिछड़ा वर्ग के सब-कैटेगराइजेशन के संबंध में गठित किए गए जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को संसद में पेश कर सकती है।

हालांकि, सरकार जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को संसद में कब पेश करेगी, इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

लेकिन, बताया जा रहा है कि संसद का विशेष सत्र मोदी सरकार के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है, जब वो जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखकर देश के ओबीसी मतदाताओं के बीच विरोधी दलों को बेनकाब कर सकती है।

भाजपा के कई नेताओं का यह मानना है कि सरकार ऐसा करके देश के उन ओबीसी मतदाताओं को अच्छा संदेश दे सकती है, जो अभी तक ओबीसी समुदाय को मिलने वाले लाभों से वंचित रहे हैं।

इन नेताओं का यह भी मानना है कि इस रिपोर्ट के सदन में पेश होने के बाद देश में पिछले कई दशकों से दलित और पिछड़े वर्ग के नाम पर राजनीति करने वाले दल और नेता भी बेनकाब हो जाएंगे और इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े ऐसे लोगों के पार्टी के साथ जुड़ने की ज्यादा संभावना होगी क्योंकि उन्हें यह समझ आ जाएगा कि उनके साथ सिर्फ भाजपा ही न्याय कर सकती है।

आपको याद दिला दें कि मोदी सरकार ने ही अक्टूबर 2017 में जस्टिस रोहिणी कमीशन का गठन कर उसे यह दायित्व सौंपा था कि कमीशन ओबीसी समुदाय के अंदर अलग-अलग जातियों और समुदायों को मिल रहे आरक्षण के असमान लाभ की जांच कर ओबीसी के अंदर मिल रहे 27 प्रतिशत आरक्षण के बंटवारे के तरीके, आधार और मानदंड को लेकर सिफारिश दें।

इसके साथ ही आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग के सब-कैटेगराइजेशन में बांटने के लिए पहचान करने की भी जिम्मेदारी दी गई थी ताकि कोटा के अंदर कोटा जैसी कोई व्यवस्था कर ओबीसी में आने वाले सभी जातियों तक लाभ पहुंचाया जा सके।

कई बार कार्यकाल बढ़ाये जाने के बाद जस्टिस रोहिणी कमीशन ने जुलाई में ही लगभग 1,100 पेज की अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। अब, यह कहा जा रहा है कि जाति जनगणना के मसले पर विपक्षी दलों की घेरेबंदी को तोड़ने के लिए मोदी सरकार इस रिपोर्ट को ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच होने वाले संसद के विशेष सत्र में सदन के पटल पर पेश कर सकती है।

हालांकि, भाजपा में एक धड़ा ऐसा भी है, जो ऐसा करने के खिलाफ है और उनका यह तर्क है कि कहीं ऐसा करने से पार्टी का कोर वोट बैंक न नाराज हो जाए। कई नेता देश के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के हश्र से भी सबक सीखने की बात कह रहे हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it