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'अच्छे दिन' तो बाबाओं और कारोबारियों के आए : राजेंद्र सिंह

स्टॉक होम वॉटर प्राइज से सम्मानित और 'जलपुरुष' नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है

अच्छे दिन तो बाबाओं और कारोबारियों के आए : राजेंद्र सिंह
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- संदीप पौराणिक

भोपाल। स्टॉक होम वॉटर प्राइज से सम्मानित और 'जलपुरुष' नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि 'अच्छे दिन का वादा कर सत्ता में आए लोगों ने आम आदमी के नहीं, कुछ बाबाओं व कारोबारियों के जरूर अच्छे दिन ला दिए हैं।'

दिल्ली के रामलीला मैदान जाकर अन्ना हजारे के सात दिवसीय अनशन में शिरकत करने के बाद राजेंद्र सिंह ने आईएएनएस से दूरभाष पर चर्चा करते हुए कहा, "केंद्र में सत्ता हासिल करने से पहले आम मतदाता को तरह-तरह के सपने दिखाए गए, किसानों को फसल के उचित दाम देने का वादा हुआ, युवाओं को रोजगार देने की बात कही गई, मगर चार साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद एक भी वादे पर अमल नहीं होना बहुत अफसोस की बात है।"

सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा, "अच्छे दिनों के सपने दिखाए गए थे, आम आदमी के अच्छे दिन तो नहीं आए, एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। हां, कुछ बाबाओं और कारोबारियों के अच्छे दिन जरूर आ गए हैं। नए पानी वाले बाबा पैदा कर दिए हैं, उन्हें देश का सबसे बड़ा पानी का संरक्षक बताकर पूरे देश में होर्डिग लगा-लगाकर प्रचारित किया जा रहा है। सरकार ही बाबाओं को बढ़ावा दे रही है। आम आदमी के पानी पर तो अंबानी व अडानी का कब्जा हो चला है।"

जलपुरुष ने आगे कहा, "वर्तमान दौर में सबसे बुरा हाल किसानों, नौजवानों का है, किसान को न तो उपज का वाजिब दाम मिल रहा है और न ही फसल के लिए पर्याप्त पानी। वहीं नौजवानों के लिए रोजगार नहीं है। खेती, किसानी और जवानी पर पड़े बुरे असर का ही नतीजा है कि लोगों को अपना गांव छोड़कर शहरों की ओर रुख करना पड़ रहा है, आंदोलन की राह पकड़नी पड़ रही है। कई गांव खाली हो चुके हैं, घर बच्चों और बुजुर्गो के हवाले हैं।"

राजेंद्र सिंह का मानना है कि अब आंदोलन का नेतृत्व किसी एक व्यक्ति के हाथ में न होकर सामूहिक तौर पर होना चाहिए। आंदोलन अहिंसात्मक होने पर भी सरकार पर दवाब बनता है, लिहाजा आंदोलन लगातार किया जाए, मगर अहिंसात्मक।

उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में भीकमपुरा में होने वाले चिंतन शिविर में किसान संगठन और बुद्धिजीवी विचार-मंथन करेंगे। उसके बाद किसान आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।

सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान भारत में 'झूठमेव जयते' की संस्कृति बढ़ रही है, जिस कारण समाज में चारों तरफ भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। झूठ के प्रचार-तंत्र ने सच्चाई और ईमानदारी को दबा दिया है, जिस कारण नौजवान, किसान, मजदूर और छोटे व्यापारी.. सभी संकट में हैं। समाज के सभी वर्गो में लगातार बढ़ता निराशा का भाव समाज के सभी पक्षों को कमजोर कर रहा है।

मुंबई के किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा, "महाराष्ट्र में नासिक से मुंबई तक हजारों किसानों ने अनुशासित मार्च किया, वहीं अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली में हुए सात दिन के आमरण अनशन में किसानों ने अपनी ताकत दिखाई। इसलिए अब लगने लगा है कि आंदोलन का नेतृत्व एक व्यक्ति नहीं, सामूहिक रूप से होना चाहिए। राजस्थान के भीकमपुरा में होने वाले चिंतन शिविर में इन मुद्दों पर देशभर के किसान संगठन चर्चा करेंगे।"


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