कोरबा में जंगली हाथी गणेश के आजाद होने से गांवों में दहशत
छत्तीसगढ़ के कोरबा और रायगढ़ जिले के वन क्षेत्रों में दस से अधिक लोगों को पैरो से कुचल के मार देने वाला, आंतक का पर्याय बन चुका जंगली हाथी गणेश रेस्क्यू के बाद पकड़ लिया

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा और रायगढ़ जिले के वन क्षेत्रों में दस से अधिक लोगों को पैरो से कुचल के मार देने वाला, आंतक का पर्याय बन चुका जंगली हाथी गणेश रेस्क्यू के बाद पकड़ लिया गया था। लेकिन बुधवार और गुरूवार की दरम्यानी रात उसके फिर आजाद होने से कुदमुरा वन परिक्षेत्र के गांवों में दहशत फैल गयी है।
उल्लेखनी है कि वन मण्डल कोरबा और वन मण्डल धरमजयगढ़ का विभागीय अमला पिछले कई दिनों से इस जंगली हाथी को पकड़ कर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर ले जाने के लिए प्रयासरत था।
गत मंगलवार को दिनभर की मशक्कत के बाद दोनों वन मण्डल की संयुक्त टीम ने वर्ल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के विशेषज्ञों और कुमकी हाथियों की मदद से ट्रेंक्यूलाइज कर गणेश पर काबू पाया था।
उसे एक ट्रक में तमोर पिंगला भेजा जा रहा था लेकिन हाथी ने ट्रक में तोडफ़ोड़ करना शुरू कर दिया। इसके बाद हाथी को कोरबा वन मण्डल के कुदमुरा के गजदर्शन विश्राम गृह में जंजीरों से जकड़कर रखा गया। जंगली हाथी के पैरों में जंजीर डाली और गले में भी जंजीर डालकर एक पेड़ से बांधकर रखा गया था।
अधिकारिक जानकारी के मुताबित बुधवार की देर रात गणेश गले की जंजीर तोड़कर भाग निकला। इस दौरान उसने विश्रामगृह में भी तोडफ़ोड़ की।
आजाद होने के बाद जंगली हाथी कुदमुरा के खेतों में विचरण कर रहा है, जिससे वन विभाग की मुश्किलें बढ़ गई है, हालांकि हाथी की गर्दन पर लगे रेडियो कॉलर आईडी से उसकी निगरानी की जा रही है।
अधिकारियों के मुताबिक अब 48 घंटे तक गणेश को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सकता। बस उसकी निगरानी की जाएगी और उसके बाद ही ट्रेंकुलाइज कर फिर से रेस्क्यू किया जाएगा।
जंगली हाथी के आक्रमक रुख को देखते हुए वन विभाग ने आसपास के क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है और एक सौ से अधिक अधिकारी कर्मचारियों की टीम को क्षेत्र में तैनात कर दिया है ताकि किसी तरह की जनधन हानि ना हो।
इस खूंखार हाथी ने पिछले छ: माह में दस से अधिक लोगों को अपने पैरों से कुचलकर मार डाला है और इसे बेहद खतरनाक समझा जाता है।


