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अखिलेश के शासनकाल में रखी गयी थी जीपीएफ घोटाले की बुनियाद : श्रीकांत

श्रीकांत शर्मा ने कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार की बुनियाद तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में रखी गयी थी जबकि उनकी सरकार मामले की सीबीआई से कराने की कराने की अनुशंसा कर चुकी

अखिलेश के शासनकाल में रखी गयी थी जीपीएफ घोटाले की बुनियाद : श्रीकांत
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लखनऊ । उत्तर प्रदेश मे बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि में अनिमियतिता के मामले में विपक्ष के आराेपों पर पलटवार करते हुये सूबे के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार की बुनियाद तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में रखी गयी थी जबकि उनकी सरकार मामले की निष्पक्ष जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की अनुशंसा कर चुकी है।

शर्मा ने रविवार को यहां पत्रकारों से कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस मामले में सरकार पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देख लेना चाहिये कि वह किस कदर भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुये हैं। श्री वाड्रा तो राजनीति में अभी नयी नवेली हैं और उन्हे हर रोज किसी न किसी बात पर ट्वीट करने के सिवा और कुछ नहीं आता है लेकिन सपा अध्यक्ष को इस मामले में कुछ भी कहने से पहले होमवर्क कर लेना चाहिये था।

उन्होने कहा कि दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल में इस भ्रष्टाचार का दरवाजा खोला गया था। यह हास्यास्पद है कि भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात दलों ने इस अनियमितता के मामले में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर आरोप लगाए हैं।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि अक्टूबर 2016 तक जीपीएफ संबंधी दोनों ट्रस्टों की धनराशि राष्ट्रीयकृत बैंकों में फिक्स डिपॉजिट के तौर पर निवेश की जाती थी मगर 21 अप्रैल 2014 को अखिलेश के शासनकाल में यह निर्णय लिया गया था कि अगर अधिक ब्याज देने वाले विकल्प हो तो जीपीएफ और ईपीएफ की धनराशि उसमें निवेश की जाए।

उन्होने कहा कि यह निर्णय लेकर भ्रष्टाचार के दरवाजे खोल दिए गए। अक्टूबर 2016 में निवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया और 17 दिसंबर 2016 को संबंधित ट्रस्ट के सचिव और निदेशक वित्त को इसके लिए अधिकृत कर दिया गया। उसके बाद 17 मार्च 2017 से कर्मचारियों की भविष्य निधि का गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किया जाने लगा।


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