स्वस्थ बचपन विकसित राष्ट्र की नींव : बहुगुणा
हमारा वीजन राष्ट्र को विकसित बनाना है

नोएडा। हमारा वीजन राष्ट्र को विकसित बनाना है। यह तभी हो सकता है जब हमारे देश का नागरिक स्वस्थ्य हो। इसके लिए जरूरी है उसका बचपन स्वस्थ्य होना। देश में प्रतिवर्ष करीब दो करोड़ 70 लाख बच्चे जन्म लेते है। जिसमें 15 लाख बच्चे जन्मजात बीमारियों से पीड़ित रहते है।
बीमारी का पता नहीं चलने पर 0 से 6 माह के बीच ही अधिकांश बच्चों की मौत हो जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। जन्म के बाद बच्चे में किस तरह की बीमारी है समय रहते ही उसकी पहचान कर इलाज किया जा सकेगा। इसके लिए प्रदेश में अर्ली इंटरवेशन सेंटर खोले जा रहे है। यह बात महिला कल्याण, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने कहीं। वह सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में राष्ट्र बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत डीईआईसी सेंटर का उद्घाटन करने पहुंची थी। उन्होंने कहा कि सत्ता बदलने के साथ ही हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर करना है। कुछ बच्चे पैदा होने के बाद बेहद कमजोर होते है।
लेकिन इस तरह के सेंटर में बच्चों की बीमारी की पहचान कर उनका इलाज किया जा सकेगा। प्रदेश में भले ही डाक्टरों की कमी है। वह ओवरलोड के साथ ओवर टाइम भी कर रहे है। लेकिन यह जिम्मेदारी महज डाक्टरों की नहीं बल्कि अभिभावक भी अपने बच्चों की जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक जनपद में चरणबद्ध तरीके से डीईआईसी की स्थापना की जानी है। वर्ष 2017-18 में 6 डीईआईसी की स्थापना के सापेक्ष 5 सेंटरों की स्थापना की जा चुकी है।
जिसमे दो क्रियाशील है। ऐसे में दिल्ली से सटे सेटलाइट सिटी नोएडा में तीसरा क्रियाशील सेंटर खोला जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि जनपद में मौजूदा समय में 8 मोबाइल हेल्थ टीमे क्रियाशील है। यह टीम 2017-18 में एक लाख 45 हजार 902 बच्चों की स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जिसमे 3409 बच्चे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला चिकित्सालय एवं सुपर स्पेशयलिटी पीडियाट्रिक में संदंर्भित किया गया। वहीं, 2823 बच्चों को नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया गया।
4डी पर काम करेगा डीईआईसी सेंटर
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चाइल्ड पीजीआई में खोला गया सेंटर 4डी पर काम करेगा। इस कार्यक्रम के तहत जन्म के समय से 19 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। जन्म के समय संभावित जन्मदोष, बीमारियां, कमियों एवं विकास में देरी का परीक्षण यहा किया जाएगा। इसे 4डी यानी( डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिसिएंसी, डिसीज, डेवलेपमेंट डिले) के आधार पर जांच की जाएगी। वहीं, शहर में कार्यरत मोबाइल टीमों द्वारा निरिक्षण के दौरान यदि ऐसे बच्चे मिलते ही जिनका इलाज इस सेंटर के जरिए हो सकता है उन्हें यहा भेजा जाएगा।
बच्चों की मृत्यु दर कम करने की है योजना
बच्चों में बीमारी और मृत्यदर को कम करने के लिए मौजूदा समय में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कायक्रम संचालित किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत जन्म से लेकर 19 वर्ष तक आयु वालों के बच्चों के स्वास्थ्य जांच करने का प्रावधान है।
लिहाजा संस्थागत प्रसव केंद्रों में जन्म के समय, 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र, 6 से 10 वर्ष तक के बच्चों का प्राथमिक विद्यालयों, 10 वर्ष से 19 वर्ष तक के किशोरों का स्वास्थ्य परीक्षण अपर-प्राथमिक विद्यालयों में चिकित्सों द्वारा समय-समय पर किया जाता है। साथ ही घरेलू प्रसव के दौरान आशा वर्कर द्वारा गर्भवती और नवजातों की जांच किया जाता है। यह बच्चों को बीमारी से छुटकारा और शिशु मृत्युदर को कम करने को लेकर है।
ऐसे मिलेगा उपचार
यदि महिला नशे का सेवन करती हैं, स्ट्रेश में हो, अच्छी डाइट नहीं मिलती हो, गलत देवा का सेवन कर लिया हो, इसकी पहचान करना आसान होगा।
- बच्चे के जन्म के समय आक्सीजन की कमीं, जन्म के दौरान बच्चे को इफेक्शन हो गया हो, सलरता से उपचार सं•ाव।
- समय से पहले जन्मे बच्चे, जन्म के दौरान बच्चों का वेट कम होना, मेनजाइटिस होने पर, कान बहने पर आदि का सरलता से उपचार संभव।
- बच्चों का हिररिंग टेस्ट करना आसान होगा,आदि।


