छत्तीसगढ़ के बीजापुर में खुलेगा पहला 'वन धन विकास केंद्र'
टीआरआईएफईडी ने छत्तसीगढ़ के बीजापुर जिले में इस प्रायोगिक विकास केन्द्र की स्थापना का कार्य सीजीएमएफपी फेडरेशन को सौंपा है

नई दिल्ली। जनजातीय मामले मंत्रालय ने कौशल उन्नयन तथा क्षमता निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करने तथा प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन सुविधा केन्द्र की छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिले में स्थापना करने के लिए प्रायोगिक आधार पर पहले बहुद्देश्यीय 'वन धन विकास केंद्र' की स्थापना को मंजूरी दी है। इस पहले वन धन विकास केन्द्र मॉडल का कार्यान्वयन प्रशिक्षण, प्राथमिक स्तर प्रसंस्करण के लिए उपकरणों तथा औजार उपलब्ध कराने और केन्द्र की स्थापना के लिए बुनियादी ढांचे तथा भवन के निर्माण के लिए 43.38 लाख रुपये के कुल परिव्यय के साथ 300 लाभार्थियों के प्रशिक्षण हेतु किया जा रहा है। आरंभ में इस केन्द्र में टेमारिंड ईंट निर्माण, महुआ फूल भंडारण केन्द्र तथा चिंरोजी को साफ करने एवं पैकेजिंग के लिए प्रसंस्करण सुविधा होगी।
टीआरआईएफईडी ने छत्तसीगढ़ के बीजापुर जिले में इस प्रायोगिक विकास केन्द्र की स्थापना का कार्य सीजीएमएफपी फेडरेशन को सौंपा है तथा बीजापुर के कलेक्टर समन्वय का कार्य करेंगे। जनजातीय लाभार्थियों के चयन एवं स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के निर्माण का कार्य टीआरआईएफईडी द्वारा आरंभ किया गया है तथा 10 अप्रैल, 2018 से इसका प्रशिक्षण आरंभ होने का अनुमान है। आरंभ में वन धन विकास केन्द्र की स्थापना एक पंचायत भवन में की जा रही है जिससे कि प्राथमिक प्रक्रिया की शुरूआत एसएचजी द्वारा की जा सके। इसके अपने भवन के पूर्ण होने के बाद केन्द्र उसमें स्थानांतरित हो जाएगा।
वन धन विकास केन्द्र एमएफपी के संग्रह में शामिल जनजातीयों के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होंगे जो उन्हें प्राकृतिक संसाधनों का ईष्टतम उपयोग करने और एमएफपी समृद्ध जिलों में टिकाऊ एमएफपी आधारित आजीविका उपयोग करने में उनकी सहायता करेंगे।
गौण वन उपज (एमएफपी) वन क्षेत्र में रहने वाले जनजातियों के लिए आजीविका के प्रमुख स्रोत हैं। समाज के इस वर्ग के लिए एमएफपी के महत्व का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि वन में रहने वाले लगभग 10 करोड़ लोग भोजन, आश्रय, औषधि एवं नकदी आय के लिए एमएफपी पर निर्भर करते हैं। इसका महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण से भी मजबूत संबंध है क्योंकि अधिकांश एमएफपी का संग्रहण, उपयोग एवं बिक्री महिलाओं द्वारा की जाती है।


