मोक्ष की साधना का पहला और आखिरी रास्ता गुरु की सेवा : राजीवनयन
रायपुर स्थित वृद्धसेवाश्रम में सत्संग, सांगीतिक आयोजन में साधकजन बड़ी संख्या में शामिल हुए
रायपुर। स्थित वृद्धसेवाश्रम में सत्संग, सांगीतिक आयोजन में साधकजन बड़ी संख्या में शामिल हुए। संत राजीवनयन ने बताया कि आध्यात्म का रास्ता गुरु के संगत में आने से खुलेगा।
गुरु और शिष्य के मध्य रिश्तों को सिर्फ दीक्षा लेने से ही जोड़कर न देखें,दीक्षा का मतलब होता है इच्छाओं का दमन करना और गुरु के साथ जुड़कर ही यह संभव है। मोक्ष की साधना का पहला और आखिरी रास्ता गुरु की सेवा है। ज्ञान यदि किताबों से ही मिल जाता तो गुरु की आवश्यकता नहीं पड़ती।
गुरु के स्पंदन के साथ अपने स्पंदन को एक कर देना ही तो ज्ञान है। गुरु परमात्मा से जुड़ने का मार्ग बताते हैं। मानस में स्वंय भगवान राम ने गुरु से शिक्षा-दीक्षा ली है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आश्रम परिसर में सांगीतिक भक्ति वंदना में संजीवनयन जी महाराज के साथ साधकजन सुर मिलाते रहे। रायपुर के अलावा अन्य शहरों से भी गुरु परम्परा का वंदन करने साधकगण पहुंचे हुए थे


