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हर्षोल्लास के साथ मनाया गया हलषष्ठी का पर्व

नवापारा एवं राजिम शहर सहित अंचल में हलषष्ठी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया हलषष्ठी का पर्व
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नवापारा-राजिम। नवापारा एवं राजिम शहर सहित अंचल में हलषष्ठी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। नवापारा नगर के सत्यनारायण मंदिर, परमेश्वरी मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, कर्मा मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर, कुम्हार पारा, भोईपारा, देवांगन पारा, सोनकर पारा सहित अनेक मंदिरों, स्थालों पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने पूजा अर्चना की।

जानकारी के मुताबिक इस दिन महिलाएं भगवान शंकर, पार्वती, गणेश, कार्तिक एवं नंदी महाराज की पूजा अर्चना कर अपने बच्चों एवं पति के दीर्घायु की कामना करते हुए लाई, चना, नारियल आदि का प्रसाद लेकर पूजा की। इस दौरान पूजा स्थल पर बनाएं सकरी में अपने पुत्र-पुत्रिओं को डुपकियाँ भी लगाये गये।

शहर सहित ग्रामीण अंचलों में हलषष्ठी व्रत के तैयारी को लेकर महिलाएं एक दिन पूर्व से ही जुटी रही इस व्रत में प्रसाद के रूप में खाये जाने वाला पसहर चांवल 50 से 80 रुपए तक बिका। दोपहर बाद से महिलाएं मंदिरों में बने शिव पार्वती की पूजा कर सगरी में पानी डालकर संतान की लम्बी उम्र की कामना की। मंदिर में पूजा के बाद पंडित से हलषष्ठी की कहानी सुनी।

इसके पश्चात देर शाम संतान की लम्बी उम्र की कामना लिए महिलाओं ने बच्चों के पीठ पर पंजामार कर प्रसाद ग्रहन कर व्रत तोड़ी। पुत्र की दीर्घायु एवं पुत्रवती होने के लिए यह व्रत का विधान है। इस दिन ही भगवान कृष्ण के बड़ेभाई भगवान हलधर का जन्म हुआ था। कुम्हारपारा की श्रीमती लक्ष्मी चौहान ने बताया कि हलषष्ठी का सम्बंध श्री कृष्ण भगवान से है।

जब कंस के द्वारा सात पुत्रों के हत्या के बाद नारद के कहने पर देवकी ने अपने आठवे संतान के दीर्घायु के लिये ये उपवास रखा। हलषष्ठी का सम्बम्ध महाभारत काल से भी है। पूजा अर्चना के बाद माताओं के द्वारा उपवास तोडने के लिए पसहर चाँवल से बना भात और छह प्रकार के भाजी जिसमें हल न चला हो का प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है।


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