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गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

राजस्थान में आज गणेश चतुर्थी का पर्व परम्परागत रूप से बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है और भगवान गणेश मंदिरों में विशेष श्रृंगार एवं आकर्षक सजावट की गई है

गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया गया
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जयपुर। राजस्थान में आज गणेश चतुर्थी का पर्व परम्परागत रूप से बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है और भगवान गणेश मंदिरों में विशेष श्रृंगार एवं आकर्षक सजावट की गई है तथा सुबह से ही दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की कतारे लगी हुई है।

राजधानी जयपुर के मोती डूंगरी एवं गढगणेश एवं झोटवाडा गणेश मंदिरों में लोगों ने भगवान के लड्डुओं का भोग लगा कर परिवार में खुशी एवं सुख समृद्धि की कामना की। शहर में कल मोती डूंगरी मंदिर से गढगणेश मंदिर तक गणेश की शौभायात्रा निकाली जाएगी।

गणेश मंदिरों में आज मंगला झांकी से लेकर शयन आरती तक विशेष अराधना की जाएगी। इसके अलावा अपने घरो में भी लोग गणेश की पूजा अर्चना कर रहे है। जयपुर नगर निगत द्वारा शहर में 15 स्थानों पर गणेश पूजा का आयोजन रखा गया है।

सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर बाघ अभयारण स्थित त्रिनेत्र गणेश के भी आज से मेला शुरू हो गया है तथा वहां भक्तों का जाना शुरू हो चुका है। वन विभाग एवं जिला प्रशासन ने अभयारण में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए है।

अजमेर संवाददाता के अनुसार इस मौके पर आज अलसुबह से ही शहर के परकोटे स्थित मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमना शुरू हो गई। कतारबद्ध पंक्तियों में जमा लोगों ने बड़ी श्रद्धा भाव से आरती के साथ गणेश महोत्सव की शुरुआत की।

सर्वाधिक भीड़ अजमेर के आगरा गेट स्थित मराठाकालीन प्राचीन शिव मंदिर पर रही।इस मंदिर को मराठा शासकों द्वारा बनवाया गया। इसी तरह 1960 में निर्मित लगभग 57 साल पुराने शास्त्री नगर स्थित तीन सौ फीट ऊंचाई पर गणेशगढ़ मंदिर में भी बड़ी मात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचनी शुरू हो गई।

परकोटे से बाहर अजमेर किशनगढ़ के बीच खोड़ा गांव स्थित खोढ़ागणेश मंदिर में भी शहर व दूरदराज के लोग अभी से पहुंच चुके है। यहां करीब चार सौ साल पहले गणेश प्रतिमा पहाड़ों में स्वतः प्रकट हुई। इसी तरह तीर्थनगरी पुष्कर स्थित 1200 साल पुराने भटबाए मंदिर पर पूरी रात ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

यह मंदिर पुष्कर बाईपास पर अवस्थित है और श्रद्धा एवं आस्था के इसे केंद्र पर नागौर, मेड़ता, बीकानेर के श्रद्धालु यहां आते है। यह मंदिर चौबीस घंटे खुला रहता है और मनोकामना के लिए लोग रात दो बजे से ही पहुंचना शुरू हो गए।


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