संकट में ओखला पक्षी विहार का अस्तित्व
हजारों पक्षियों की चहचहाट से सराबोर रहने वाले पक्षी विहार इन दिनों विरान है
नोएड। हजारों पक्षियों की चहचहाट से सराबोर रहने वाले पक्षी विहार इन दिनों विरान है। सुरक्षा व व्यस्वस्था ने यहा अपने पाव पसार लिए है। नियमों को ताक पर रख यहा लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है। प्रकृति के साथ ऐसा खिलवाड़ शायद ही किसी और पक्ष विहार में देखने को मिले। जबकि एनजीटी व सरकार भी इसको लेकर सख्त है।
बावजूद अनदेखी के चलते ओखला पक्षी विहार का अस्तित्व संकट में आ चुका है। स्थापना के बाद अब तक जितने दंश ओखला पक्षी विहार ने झेले यह यहा आने वाले पक्षियों के आंकड़े ही बयां कर देते है। यहा प्रति वर्ष करीब तीन लाख पक्षी प्रवास करते थे। जिनकी संख्या साल दर साल घटती रही। 2014 में यहा 43 हजार पक्षियों ने प्रवास किया। 2015 में इनकी संख्या घटकर महज 27 हजार पहुंच गई। यही नहीं 2016 में पक्षियों की संख्या महज 8 हजार के आसपास रही। इसकी एक वजह यहा फैलती जा रही भारी अव्यवस्था है। हालांकि पक्षी विहार को सुधारने के लिए एक एक्शन प्लान भी तैयार किया गया। लेकिन अभी तक इसका बजट तक पास नहीं हुआ है। ऐसे में बदलते परिवेश में यहा आने वाले पक्षियों ने अपना रूख धनौरी व फरीदाबाद व गुड़गांव के वेटलैंड की ओर कर लिया है।
क्या है वर्तमान स्थिति
ओखला पक्षी विहार में पर्यटको को घूमने के लिए बनी सड़क टूट चुकी है। तीन माह पहले आंधी तुफान में टूटे करीब 500 पेड़ों के स्थान पर अभी तक नए पेड़ नहीं लगे। यह पक्षियों के प्रवास के लिए बनी झील पर मवेशियों के अलावो अन्य जतुंओं ने कब्जा कर लिया है। यहा की झील आसपास के ग्रामीणों के मवेशियों के लिए स्नान घर में तब्दील हो चुकी है। पक्षियों के लिए बनाए गए प्राकृतिक घोसले टूट चुके है।
झील में भोजन की बेहद कमी है। ऐसे में पक्षी यहा प्रवास नहीं कर रहे। ओखला पक्षी विहार प्रबंधन ने प्राकृतिक परिवेश को नुकसान न पहुंचे। लिहाजा यहा पक्षी विहार के अंदर कार व बाइक ले जाने पर रोक लगा दी थी। इन गाड़ियों को गेट पर ही खड़ा करने के लिए पार्किंग बनाई गई। साथ ही अंदर घूमने के लिए साइकिल दी गई। यह नियम बने। लेकिन नियमों को ताक पर रख थोड़ा पैसा और देकर जमकर कार घूम रही है। हॉर्न के अलावा गंदगी भी फैलाई जा रही है।


