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मेसी और वर्ल्डकप की मिट गई दूरियां

लियोनेल मेसी के हाथ में फुटबॉल का वर्ल्ड कप किसी ट्रॉफी की तरह नहीं एक मां की गोद में बच्चे की तरह आया. वो मां जिसने अपने बच्चे के लिए 9 महीने नहीं 18 साल इंतजार किया हो

मेसी और वर्ल्डकप की मिट गई दूरियां
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बीते दो दशकों से जिस नजारे का इंतजार दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों को था आखिर वो 18 दिसंबर 2022 की रात को लोगों की आंखों में उतर आया. कतर के लुसैल स्टेडियम में करीब 90,000 दर्शकों की मौजूदगी के बीच लियोनेल अर्जेंटीना और फ्रांस के फाइनल मुकाबले में मेसी ने इतिहास लिखा. वो इतिहास जिसका इंतजार 2004 में उनके पेशेवर फुटबॉल में उतरने के बाद से ही दुनिया कर रही थी.

फुटबॉल के 90 मिनट के खेल में रोमांच वैसे भी अपने चरम पर होता है और जब बात वर्ल्ड कप की हो तो यह कुछ ज्यादा ही उछाल मारता है. हालांकि रविवार का खिताबी मुकाबला अगर फुटबॉल वर्ल्ड कप का फाइनल ना होता तो भी यादगार मैच होता.

आखिरी समय में पलटा खेल

तकरीबन 70-75 मिनट तक अर्जेंटीना का पलड़ा एकदम भारी रहा और यही लग रहा था कि मेसी के करिश्मे ने खिताब बचाने उतरी फ्रांस की टीम पस्त कर दिया है और नतीजा बिल्कुल वही होने जा रहा है जिसकी सबने उम्मीद लगा रखी है.

अर्जेंटीना की टीम 2-0 से आगे चल रही थी और मेसी विरोधियों को कोई मौका नहीं दे रहे थे. इतना ही नहीं जिस तरह से वो अपने चिर परिचित अंदाज में हंसते मुस्कुराते मैदान पर लहरा रहे थे और गोल के मौके बना रहे थे उससे तो यही लगा कि अब कुछ भी चौंकाऊ नहीं होगा.

अचानक 80वें मिनट पर एक पेनल्टी शूट को फ्रांस के कप्तान किलियन बापे ने गोल में बदला और इसके एक मिनट बाद ही दूसरा गोल करके मैच को बराबरी पर पहुंचा दिया. इसके बाद तो हर मिनट मैच को दर्शकों ने दिल पर हाथ रख कर देखा है.

108वें मिनट में मेसी ने एक और गोल किया और फिर अर्जेंटीना को आगे ले गये लेकिन 118वें मिनट पर बापे को एक और पेनल्टी शूट मिला और उन्होंने फिर बराबरी कर ली. तय समय में जब फैसला नहीं हो सका तो एक्स्ट्रा टाइम का सहारा लिया गया. 126 मिनट खेलने के बाद भी जब हार जीत का फैसला नहीं हो सका तो फिर पेनल्टी शूटआउट के जरिये फैसला हुआ जो अर्जेंटीना के पक्ष में गया.

फ्रांस के कप्तान बापे ने जबर्दस्त खेल दिखाया

निश्चित रूप से फाइनल मुकाबले में 56 सालों के पहला हैट्रिक के साथ मेसी ने एक यादगार मैच खेला है लेकिन इसे जबर्दस्त बनाने में बापे ने भी बड़ी भूमिका निभाई. दोनों टीमों के कप्तान इतिहास बनाने के लिए खेल रहे थे लेकिन रोमांच और तनाव के चरम पर भी दोनों के चेहरों पर इसका कोई निशान नहीं था, दोनों ने अपना स्वाभाविक गेम खेला और बेहतरीन प्रदर्शन किया. मेसी ने अगर जीत के लिए मेहनत की तो बापे ने उस जीत को मुश्किल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आज भले ही बापे हार के बाद थोड़े निराश और पस्त दिखे लेकिन आने वाले दिनों में उनके करिश्माई खेल का एक लंबा इतिहास लिखा जायेगा इसमें किसी को संदेह नहीं.

इस जीत के बगैर भी लियोनेल मेसी दुनिया के सर्वकालिक महान फुटबॉलरों में गिने जाते थे बस उसमें विश्वकप की जो एक कमी थी जो पूरी अब पूरी हो गई है. 2014 में फाइनल में पहुंच कर भी वह इसे हासिल नहीं कर सके थे.फाइनल मैच के साथ उन्होंने कई और ऊंचाईयों को छू लिया है. वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा गोल करने में मामले में वो पेले से आगे निकलने के साथ ही एक ही टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने में वो अपने ही देश के डियेगो मैराडोना से भी आगे निकल गये हैं. अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में सबसे ज्यादा गोल करने के लिहाज से वो अब तीसरे नंबर पर हैं.

मेसी को इस टूर्नामेंट में गोल्डेन बॉल भी मिला जबकि गोल्डेन बूट बापे को और गोल्डेन ग्लोव अर्जेंटीना के गोलकीपर एमिलियानो मार्टिनेज को.


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