हंगामे ने रोका 'अविश्वास' का रास्ता
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर नहीं हो पाया निर्णयसरकार ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव को तैयार

नई दिल्ली। लोकसभा में आज मोदी सरकार के खिलाफ आज भी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं हो सका। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जहां सरकार पूरी तरह तैयार थी वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर एकजुट नहीं दिखा और लोकसभा में लगातार हंगामा करता रहा। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश करती रहीं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार करने के लिए वह बाध्य है लेकिन जब तक सदन में व्यवस्था कायम नहीं होगी तब तक वह अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में खड़े सांसदों की गिनती नहीं कर सकती, जो कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की आवश्यकता शर्त है। हंगाम रुकता न देख उन्होंने लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।
लोकसभा में विपक्ष द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सरकार भी पूरी तरह तैयार दिखी। सदन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, जब से संसद का सत्र का शुरू हुआ, तभी से सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि वह सत्तापक्ष की तरफ से यह कहना चाहते हैं कि सदस्य जो भी मुद्दे उठायेंगे सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है। इसके बाद अध्यक्ष ने वाईएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बा रेड्डी, तेलुगुदेशम पार्टी के थोटा नरसिम्हम और जयदेव गल्ला की ओर से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिलने की सूचना दी।
श्रीमती महाजन ने कहा कि वह ये नोटिस सदन के समक्ष रखने के लिए बाध्य हैं, लेकिन जब तक सदन में व्यवस्था नहीं होगी वह प्रस्ताव के समर्थन के लिए जरूरी 50 सदस्यों की गिनती नहीं कर सकती हैं, ताकि वह इस प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने पर फैसला कर सकें। इससे पहले शुक्रवार को भी सदन में हंगमे के कारण अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर लोकसभा अध्यक्ष कोई फैसला नहीं कर सकीं थी।
इस बीच वाईएसआर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यदि 6 अप्रैल से पहले अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं होता है तो उनके सांसद संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दे देंगे।
सरकार के पक्ष में हैं आंकड़े
विपक्ष भले ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा हो लेकिन वर्तमान में सरकार को सदन में मतदान के दौरान मजबूत चुनौती मिलते नहीं दिख रही है। 274 सीटों के साथ वर्तमान में भाजपा की अकेले की ताकत ही अविश्वास प्रस्ताव को गिराने के लिए पर्याप्त हैं। जबकि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पर तेलंगना राष्टï्र समिति, बीजू जनता दल जैसी पार्टियों का भी साथ नहीं मिल पाया है।


