नीतिगत दर न बढ़ाने का निर्णय उम्मीद के अनुरूप, वैश्विक हालात को लेकर सतर्क है आरबीआई
वित्त और उद्योग क्षेत्र के लोगों ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर बनाए रखने की घोषणा को बाजार के अनुमानों के अनुरूप और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अनुकूल बताया है

मुंबई। वित्त और उद्योग क्षेत्र के लोगों ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर बनाए रखने की घोषणा को बाजार के अनुमानों के अनुरूप और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अनुकूल बताया है। विशेषज्ञों ने इस द्वैमासिक समीक्षा को वैश्विक अनिश्चितताओं के मध्य एक ‘सटीक नीतिगत वक्तव्य’ कहा है।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद गुरुवार को की गयी घोषणा में केंद्रीय बैंक की एक दिन के उधार की ब्याज दर (रेपो) को 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखा गया है। इस समीक्षा में आरबीआई ने कई और सूक्ष्म नीतिगत निर्णय लिए है।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने टिप्पणी की कि नीतिगत ब्याज दर में वृद्धि पर विराम का यह निर्णय ‘अनुमानों के अनुरूप’ है । उन्होंने कहा कि एमपीसी के निर्णयों की शब्दावली को ऐसी ‘ सूक्ष्म भेद वाली’ रखा गया है कि मुद्रास्फीति बढ़ने की आगे की अटकलों पर अंकुश लगे।
श्री खारा ने कहा कि आरबीआई ने इस नीतिगत समीक्षा में विकास के मोर्चे की दृष्टि से जो विभिन्न नीतिगत सुधार किए हैं, उनमें समाधानों की प्राथमिकता, जोखिम प्रबंधन, डिजिटल नवाचार तथा बाजार के सूक्ष्म ढ़ाचों से जुड़े मुद्दों का समाधान किया गया है। उन्होंने कहा, ‘कुल मिला कर यह नीति ऐसे वातावरण में एक सधा हुआ वक्तव्य है जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था आर्थिक वृद्धि को लेकर अनिश्चितताओं से घिरी है और श्रम बाजार में एक ठहराव बना हुआ है।’
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि आरबीआई ने नीतिगत दर और नीतिगत दृष्टिकोण पर यथास्थिति बनाए रखी है। केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि दर को लेकर अपनी उम्मीद लगातार ऊंची बनाए हुए है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के वृद्धि के अनुमान को बढ़ा कर आठ प्रतिशत और वार्षिक वृद्धि के अनुमान को 6.5 रखा है ‘जो हमारे 6-6.2 प्रतिशत के अनुमान से ऊपर है।’
मुद्रास्फीति को लेकर श्री बरुआ ने कहा कि आरबीआई को दिख रहा है कि निकट भविष्य में इसमें नरमी आएगी, लेकिन वह कीमतों में भविष्य में उतार चढ़ाव को लेकर सजग है।
समीक्षा में मुद्रास्फीति के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। उनके अनुसार केंद्रीय बैंक ने खाद्य कीमतों में मौसम के कारण होने वाली तेजी के लिए इस अनुमान में गुंजाइश रख छोड़ी है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की लीड अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि -आरबीआई नीतिगत दर में वृद्धि के क्रम पर विराम तो बनाए रखा है पर वह वैश्विक परिस्थितियों की अनिश्चितताओं के करण आगे के बारे में अभी कोई प्रतिबद्धता प्रकट नहीं कर रहा है।’
ग्लोबल कैपिटल लि. के प्रबंध निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि आज के निर्णयों से गृह ऋण लेने वालों और सूक्ष्म,लघु और मझोले उद्यम क्षेत्र को राहत मिलेगी जो ब्याज दरें बढ़ने से चिंतित थे।
कोटक महिंद्रा के कामर्शियल बैंकिंग के मनीश कोठारी ने कहा कि मुद्रास्फीति और वृद्धि संबंधी अनुमनों का आधार लगातार यह है कि मानूसन सामान्य रहेगा, “ इस कारण आगे मानसून पर निगाह रखनी होगी।’
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन शिशिर बैंजल ने रेपो दर को यथावत रखने के आरबीआई के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले कुछ समय से कर्ज की दरों में काफी वृद्धि होने के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र का काम अच्छा चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘पर रेपो दर में पीछे की गयी वृद्धि का कर्ज की दरों पर अभी पूरा असर दिखना बाकी है, इस कारण हम रियल एस्टेट क्षेत्र को लेकर सतर्क बने हुए हैं।’
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशंस (फियो)के अध्यक्ष डॉ ए शक्तिवेल ने कहा है , ‘नीतिगत दर न बढ़ाने से आर्थिक वृद्धि दर में तेजी को और बल मिलेगा तथा मुद्रास्फीति की अटकलों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।’
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर (आर्थिक सलाहकार सेवा) रणेन बनर्जी ने आरबीआई ने ‘उदारता की राह से हटने’ का रुख बरकार रखा है ताकि मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर की जाने वाली सट्टेबाजी पर अंकुश बना रहे।’
एक्सिस सिक्यूरिटीज पीएमएस के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा कि अप्रैल 2023 संबंधी आरबीआई की रिपोर्ट में दिखता है कि बैंकों के कर्ज के काराबार में मजबूती बनी हुई है।


