सेवानिवृत्त सदस्यों की विदाई के लिए राज्यसभा में गतिरोध कुछ देर के लिए टला
राज्यसभा में सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों की विदाई की वजह से मौजूदा सत्र में पांच मार्च के बाद पहली बार बुधवार को गतिरोध कुछ देरे के लिए समाप्त हुआ और कार्यवाही सुचारू रूप से चली

नई दिल्ली। राज्यसभा में सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों की विदाई की वजह से मौजूदा सत्र में पांच मार्च के बाद पहली बार बुधवार को गतिरोध कुछ देरे के लिए समाप्त हुआ और कार्यवाही सुचारू रूप से चली। कार्यवाही हालांकि कुछ ही देर, केवल विदाई भाषण के दौरान ही सुचारू रूप से चली और भोजनावकाश के बाद सदन के दोबारा शुरू होते ही प्रदर्शन कर रहे सदस्यों ने फिर से गतिरोध उत्पन्न कर दिया।
सेवानिवृत्त हो रहे अधिकतर सदस्यों ने अपने विदाई भाषण में इस बात पर जोर दिया कि राज्यसभा में ज्यादा बहस और कम गतिरोध होना चाहिए। कुछ सदस्यों ने सदन को गतिरोध मुक्त चलाने के लिए आचरण नियमावली (रूल ऑफ कंडक्ट) को बदलने की भी वकालत की।
इन सदस्यों ने सदन में अपने अनुभवों को याद किया और पार्टी लाइन से परे जाकर विभिन्न सदस्यों के साथ अपने सहयोग के बारे में बताया।
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने महिला सांसदों के योगदान को काफी सराहा और कहा, "इस बार हमारी छह महिला सदस्य सेवानिवृत्त हो रहीं हैं जिनमें दो वापस लौट रही हैं। इसके अलावा तीन नई महिला सदस्य भी सदन में आ रहीं हैं। यह ताज्जुब की बात है कि जो राज्यसभा महिला आरक्षण बिल को 2010 में पारित करने के लिए गर्व महसूस करती है, उसी में महिलाओं की संख्या काफी कम है।"
नायडू ने कहा कि व्यवधान उत्पन्न करना 'राजनीतिक रणनीति' का हिस्सा बन चुका है और 'सदन कई बार विरोधी राजनीति का थियेटर बन जाता है।'
उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में सहमति होती है और असहमति भी होती है। अगर आप असहमत होने के लिए सहमत हैं, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन, इसका एक तरीका है। आइये, हम मिलकर अपनी राजनीति की गुणवत्ता के और क्षरण को रोकें।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि यह जरूरी नहीं है कि लोकसभा में जो (गतिरोध) हो रहा है, उसका अनुसरण राज्यसभा में किया ही जाए।
उन्होंने कहा कि इसी गतिरोध के कारण सेवानिवृत्त हो रहे सदस्य तीन तलाक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक में अपना योगदान नहीं दे सके जिसे मौजूदा सत्र में सदन में उठाए जाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सदस्यों के विरोध प्रदर्शन को सही ठहराने की कोशिश की और कहा कि ये लोग अपने निजी मुद्दे नहीं, बल्कि लोगों से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं।
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने सदन में उनकी हंसी पर एक अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शूर्पणखा की हंसी का जिक्र किए जाने की तरफ इशारा करते हुए कहा, "ऊपरी सदन के पुराने सदस्य होने के नाते, मैंने शाहबानो से लेकर 'शूर्पणखा' तक, बहुत कुछ देखा है।" उन्होंने प्रधाननमंत्री मोदी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि एक समय था जब राजीव गांधी, चंद्रशेखर और मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री हुआ करते थे जिनके समय में लगता था कि सरकार जनता की है, जनता के लिए है।
सेवानिवृत्त हो रहे उपसभापति पी. जे. कुरियन ने इस अवसर पर कहा कि पहले जब सांसद सरकार से गुस्सा होते थे तो, वे सदन से बहिर्गमन करते थे। लेकिन इन दिनों, सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप इकट्ठा हो जाते हैं।
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और अब भाजपा में शामिल होने वाले नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को उन्हें 'स्वीकार' करने के लिए धन्यवाद कहा।
अग्रवाल ने कहा, "उन्होंने पहले ऐसी चीजें कहीं हैं जिसे नहीं कहना चाहिए था।" उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ने अपनी टीआरपी के लिए कई बार उनके शब्दों को तोड़ मरोड़कर पेश किया।
राज्यसभा के सत्रह राज्यों के साठ सदस्य (चार नामांकित सदस्यों समेत) अप्रैल से जुलाई के बीच सेवानिवृत्त हो रहे हैं।


