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बांध ओव्हर-फ्लो, मिट्टी -पत्थर से पटे कई एकड़ खेत

  पहाड़ों के बीच जल संरक्षण के लिए निर्मित एक बांध का पानी ओव्हर-फ्लो होकर आसपास के कई एकड़ खेतों में लबालब भर गया

बांध ओव्हर-फ्लो, मिट्टी -पत्थर से पटे कई एकड़ खेत
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कोरबा-करतला। पहाड़ों के बीच जल संरक्षण के लिए निर्मित एक बांध का पानी ओव्हर-फ्लो होकर आसपास के कई एकड़ खेतों में लबालब भर गया।

पानी के साथ बहकर खेतों में पहुंची पत्थर, मिट्टी, रेत ने खेतों को बिगाड़ दिया है वहीं कर्ज लेकर कृषि कार्य करने वाले किसानों में चिंता व निराशा है। किसानों ने जल संसाधन विभाग और बनाये जा रहे नहर के ठेकेदार के प्रति आक्रोश व्यक्त कर इन्हें घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

जानकारी के अनुसार रामपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत लबेद की यह घटना है। यहां तीन पहाड़ों के बीच पानी रोकने के लिए बांध जल संसाधन विभाग द्वारा कालांतर में बनवाया गया। निर्मित बांध में जल का भण्डारण इन दिनों बारिश के मौसम में क्षमता से अधिक होने की वजह से बुधवार देर रात ओव्हर-फ्लो होकर बहने लगा।

तेज बहाव में पानी के साथ छोटे-बड़े पत्थर, रेत, मिट्टी बांध से करीब ढाई सौ मीटर दूर स्थित दर्जनों किसानों के खेतों में पट गए। आज सुबह किसानों को जब इसकी जानकारी हुई तो उनके होश उड़ गये। खेतों में धान की रोपाई पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई वहीं खेत दलदल में तब्दील हो गए हैं। 3 से 4 फीट मिट्टी, पत्थर पट चुके हैं। यही नहीं सक्ती मुख्य मार्ग को पार कर यह पानी 4 से 5 एकड़ खेतों को भी नष्ट कर चुका है।

खेती-किसानी के समय में किसानों ने कर्ज लेकर फसल लगाने का काम शुरू किया ही है कि विभागीय अधिकारियों व ठेकेदार की उदासीनता का खामियाजा इन्हें भुगतना पड़ रहा है। किसानों में अब अपने खेत को पुन: कृषि योग्य बनाने की चिंता सता रही है वहीं आंखों के सामने हुई बर्बादी को देख छलक पड़े। ग्रामीणों ने ग्राम सेवक संजू पाटले को फोन पर सूचना दी जो उरगा से ग्राम लबेद पहुंचा। नुकसानी का आंकलन किया जा रहा है।

25 से 30 एकड़ खेत बर्बाद

प्रभावित किसान महेत्तर सिंह चौहान ने बताया कि बांध का ओव्हर-फ्लो पानी और उसके साथ बहकर आए मिट्टी, पत्थर, बालू से उसका पूरा 7 एकड़ खेत चौपट हो गया है। केवरा बाई का 3 एकड़ खेत, झाखर का 2 एकड़ खेत, छेदू उर्फ छतराम निवासी रींवाबहार का एक एकड़ से अधिक खेत बालू और पत्थर से पट गया है।

इनके अलावा करीब एक दर्जन किसान प्रभावित हुए हैं। किसानों ने मांग की है कि उनको हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाये व खेत को सुधारकर कृषि लायक बनाया जाय।

4 साल से बन रहा नालीनुमा नहर को बचाने का खेल

ग्रामीणों ने बताया कि बांध का पानी ओव्हर-फ्लो होने पर इसे गेट खोलकर नहर में बहाने के लिए चार साल से नहर एक ठेकेदार द्वारा बनवायी जा रही है। मिट्टी और मुरूम डालकर नालीनुमा नहर बनाकर छोड़ दिया गया है।

पहले जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि ओव्हर फ्लो होने पर 50 प्रतिशत पानी नहर में बहाने और 50 प्रतिशत पानी बांध के किनारे से छोड़ा जाएगा।

इसके विपरीत ओव्हर-फ्लो होने पर बांध का गेट वॉल्व जाम होने के कारण खोला नहीं जा सका और दूसरी ओर पानी नहर में बहाने से मना कर दिया गया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि इस नहर में 4 साल के बाद पानी बहाया जा सकेगा। निर्माणकर्ता ठेकेदार को बचाने के लिए विभाग यह सब कर रहा है।

यदि पानी छोड़ दिया जाये तो कच्ची नहर बह जाएगी लेकिन अधिकारी व ठेकेदार को किसानों की चिंता नहीं है। अब सवाल है कि आखिर किस तरह की नहर बनायी जा रही है और इसके विलंब होने के कारण तथा गुणवत्ता की ओर अधिकारी ध्यान क्यों नहीं दे रहे?

पहले हुए नुकसान का ठेकेदार ने नहीं दिया मुआवजा

ग्रामीणों ने बताया कि करीब 4 साल पहले जब यह बांध कोरबा के एक ठेकेदार द्वारा बनवाया जा रहा था, तब गुणवत्ताहीन कार्य की वजह से बांध का एक हिस्सा फूट जाने से खेतों को काफी नुकसान हुआ था।

उस वक्त ठेकेदार ने प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की बात कही लेकिन आज तक कोई राहत नहीं दी गई। किसान उस घटना को भूल चुके थे और मुआवजा की भी आस ठेकेदार से नहीं रह गई।


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