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माकपा ने उच्चतम न्यालय पर लगाया अनुसूचित जाति अत्याचार निरोधक कानून को कमजोर करने का आरोप

मार्क्सवादी कमुनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उच्चतम न्यालय पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक कानून को कमजोर करने का आरोप लगाते हुई इस पर गहरी चिंता जाहिर की है और सरकार से इस सम्बन्ध में अदालत में

माकपा ने उच्चतम न्यालय पर लगाया अनुसूचित जाति अत्याचार निरोधक कानून को कमजोर करने का आरोप
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नयी दिल्ली। मार्क्सवादी कमुनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उच्चतम न्यालय पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक कानून को कमजोर करने का आरोप लगाते हुई इस पर गहरी चिंता जाहिर की है और सरकार से इस सम्बन्ध में अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करने की अपील की है।

माकपा पोलित ब्यूरो ने आज यहाँ जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि उच्चतम न्यायलय के न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और यू यू . ललित की खंडपीठ ने समाज में दलितों पर हर रोज होने वाले उत्पीड़न, अत्याचार और दमन को नज़रअंदाज कर यह फैसला सुनाया है।

उसने अग्रिम ज़मानत पर लगी रोक को हटा देने का फैसला सुना कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी को असंभव कर दिया है। इतना ही नहीं किसी सरकारी कर्मचारी को गिरफ्तार करने के लिए उच्च अधिरियों से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकारी वकील ने इस फैसले का जवाब भी ठीक से नहीं दिया और कोई आपत्ति भी नहीं की।

पार्टी ने यह भी कहा कि अगर सरकार ने अगर कदम नहीं उठाया तो समाज में दलित विरोधी शक्तियां इन वंचित जातियों पर और अत्याचार करने लगेंगी इसलिए सरकार को चाहिए की वह पुनर्विचार याचिका दायर करे।


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