गुजरात दंगे से जुड़े मामले में अदालत ने अमित शाह को गवाह के तौर पर पेश होने के लिए सम्मन जारी किया
गुजरात में 2002 के भीषण राज्यव्यापी दंगो के दौरान यहां नरोडा पाटिया इलाके में हुए नरसंहार जिसमें भीड ने 87 लोगों को मार डाला था
अहमदाबाद। गुजरात में 2002 के भीषण राज्यव्यापी दंगो के दौरान यहां नरोडा पाटिया इलाके में हुए नरसंहार जिसमें भीड ने 87 लोगों को मार डाला था, से जुडे 11 अल्पसंख्यकों की हत्या के नरोडा गाम प्रकरण में सजायाफ्ता तत्कालीन मंत्री श्रीमती माया कोडनानी की याचिका पर यहां एक विशेष अदालत ने आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को आगामी 18 सितंबर को इसके समक्ष गवाह के तौर पर पेश होने के लिए समन जारी किया।
एसआईटी की विशेष अदालत के जज पी बी देसाई ने शाह के यहां थलतेज स्थिति पते पर समन भेजने के निर्देश दिये पर साथ ही यह भी कहा कि अगर वह अदालत में पेश नहीं हुए तो अदालत दोबारा समन जारी नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात दंगे के नौ बडे मामलों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने नरोडा पाटिया प्रकरण की भी जांच की थी। एसआईटी की विशेष अदालत ने 2012 में श्रीमती कोडनानी और बजरंगदल नेता बाबुबाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी समेत 30 को दोषी ठहराया था।
श्रीमती कोडनानी को 28 साल की सजा हुई थी और जुलाई 2014 में खराब स्वास्थ्य के चलते और इस पर अपील में सुनवाई पर देरी के चलते उन्हें जमानत दे दी गयी थी।
इस मामले तथा इसकी अपील पर सुनवाई के दौरान श्रीमती कोडनानी ने दावा किया था कि घटना के समय वह गुजरात विधानसभा तथा बाद में यहां सोला सिविल अस्पताल में उपस्थित थीं जहां एक दिन पहले यानी 27 फरवरी को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच एस 6 को जलाने के चलते मारे गये 59 ‘कारसेवकों’ के शव लाये गये थे। उनका दावा था कि श्री शाह तत्कालीन विधायक के तौर पर दोनो स्थानों पर उनके साथ मौजूद थे। उनकी गवाही उनके लिए महत्वपूर्ण है।
ज्ञातव्य है कि नरोडा पाटिया तथा गाम नरसंहार ट्रेन का कोच जलाने की घटना के एक दिन बार यानी 28 फरवरी 2002 को भडने राज्यव्यापी दंगों के दौरान हुई थी।
इस मामले में श्रीमती कोडनानी समेत 80 से अधिक लोग आरोपी थे। उन पर हमलावर भीड की अगुवाई करने का आरोप था।


