विरोध प्रदर्शन की आजादी को लेकर देश है आशावान : सर्वे
पुलिस की सख्त कार्रवाइयों के बावजूद सीएए के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच सर्वेक्षण साल के अंतिम दिन कराया गया, जिसमें पता चला कि देश के मानस बीच विरोध प्रदर्शन की आजादी को लेकर आशा बनी हुई है

नई दिल्ली। पुलिस की सख्त कार्रवाइयों के बावजूद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच सर्वेक्षण साल के अंतिम दिन कराया गया, जिसमें पता चला कि देश के मानस बीच विरोध प्रदर्शन की आजादी को लेकर आशा बनी हुई है। आईएएनएस-सीवोटर स्टेट ऑफ नेशन पोल 2020 सर्वे के मुताबिक, देश के 23 राज्यों से 58.3 प्रतिशत यानी 1,600 लोगों का जवाब लिया गया। इन लोगों ने उम्मीद जताई कि सरकार की जिस नीति से वे सहमत नहीं होंगे, उसके खिलाफ उन्हें प्रदर्शन किया जाएगा। केवल 22.8 प्रतिशत लोगों ने इससे अलग राय रखी।
कुल मिलाकर 35.6 प्रतिशत लोगों का आशावान रुख देखा गया।
सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के इस आरोप के बीच कि केंद्र और राज्य सरकारें विरोध करने वालों की आवाज दबा रही है, इस तरह के विचार आना रुचिकर है।
सीवोटर के यशवंत देशमुख ने आईएएनएस से कहा, "हमने पाया कि हाल में पारित सीएए को लेकर ज्यादातर अल्पसंख्यकों में तनाव है। देश के अधिकांश लोग अर्थव्यवस्था और रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर ज्यादा चिंतित दिखे।"


