संविधान में ही है उसकी जटिलताओं का समाधान
देश के आजाद होने बाद संविधान सभा ने जिस संविधान का निर्माण किया, उसने लोगों को अधिकार तो दिया, पर उसे लेकर लोगों में तमाम भ्रांतियां भी

भारत शर्मा
नई दिल्ली (देशबन्धु)। देश के आजाद होने बाद संविधान सभा ने जिस संविधान का निर्माण किया, उसने लोगों को अधिकार तो दिया, पर उसे लेकर लोगों में तमाम भ्रांतियां भी हैं। इन्हें दूर करने का रास्ता भी संविधान में ही है, बशर्ते उसे समझा जाए। संविधान को आसान शब्दों में लोगों को समझाने का काम पूना के कुछ लोगों ने उठा रखा है। एसएन जोशी सोशलिस्ट फाउंडेशन के तहत चलने वाले इस अभियान में कालेज के छात्रों, किसानों, कामगारों और महिलाओं को संविधान की जटिलताएं आसान शब्दों में समझाई जा रही हैं। अब इस अभियान को देशव्यापी करने की तैयारी है, जिसके लिए 20 जनवरी को मुंबई में एक बैठक का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अलग-अलग राज्यों के कार्यकर्ता शामिल होंगे।
संविधान साक्षरता अभियान चलाने वाले सुभाष वारे ने देशबन्धु से चर्चा करते हुए बताया, कि वे यह काम तो पिछले 25 साल से कर रहे हैं, पर उस समय तक वे लोगों के बीच नहीं जाते थे। वे बताते हैं, जब वे छात्रों के बीच जाते थे, तो पता चलता था, कि लोगों की समझ संविधान को लेकर कितनी कम है। साल 2010 में जब संविधान की हीरक जयंती मनाई जा रही थी, लोगों के बीच जाने का विचार दिमाग में आया, पर इस काम ने रफ्तार पकड़ी साल 2015 में, जब बाबा साहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई जा रही थी। श्री वारे का कहना है, कि आरक्षण, धर्म निरपेक्षता, समाजवाद सहित धारा 370, महिला आरक्षण ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर लोगों में काफी भ्रांतियां हैं। उनके साथ इस समय 15 लोगों का समूह है, जो अलग-अलग जगह जाकर लेक्चर व शिविरों का आयोजन करता है।
इसके लिए वे पोस्टर और पावर प्रजंटेशन का प्रयोग करते हैं। फाउंडेशन साल भर में करीब 250 आयोजन करता है, इसके लिए कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित की गई हैं, जो संविधान का आसान भाषा में समझाने का काम करती है। फिलहाल यह काम विदर्भ को छोड़कर शेष महाराष्ट्र में किया जा रहा है, अब इस काम को आगे बढ़ाने की तैयारी है। कल होने वाली बैठक में देशभर के 40 कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना है, जिसमें इस अभियान को देशभर में ले जाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा। वे कहते हैं, कि संविधान में लोगों को इतने अधिकार दिए गए हैं, कि समाजवाद शब्द का प्रयोग ना किया जाए, तब भी व्यवस्था समाजवादी ही होगी।


