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पांच मुस्लिम विधायकों के साथ समुदाय के मतदाताओं ने आप को तरजीह दी

राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) को हर तरफ से मिले समर्थन में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन भी शामिल रहा

पांच मुस्लिम विधायकों के साथ समुदाय के मतदाताओं ने आप को तरजीह दी
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) को हर तरफ से मिले समर्थन में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन भी शामिल रहा। आप के पांच मुस्लिम उम्मीदवारों की भाजपा व कांग्रेस प्रतिद्वंद्वियों पर बड़ी जीत ने साफ संकेत दिया कि अल्पसंख्यक वोटरों ने भी आप को तरजीह दी। आप के मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत समुदाय की अच्छी संख्या वाले क्षेत्रों में हुई है। कभी मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद कांग्रेस हुआ करती थी। कांग्रेस का अल्पसंख्यक वोटरों पर प्रभुत्व दिल्ली में 2013 तक रहा, जब शीला दीक्षित की सरकार थी।

कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि अत्यधिक ध्रुवीकरण से उनकी पार्टी की इस बार हार हुई। हालांकि, विपक्षी पार्टी पूरे देश में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन के समर्थन में रही है।

चुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, "मतदाताओं के अत्यधिक ध्रुवीकरण ने हमारी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है क्योंकि मुस्लिम नहीं मानते कि हम भाजपा को दिल्ली में हरा सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि इसलिए मुस्लिम आप के पक्ष में हो गए।

आप के अमानतउल्ला खान ने ओखला सीट से जीत दर्ज की, जहां कांग्रेस उम्मीदवार परवेज हाशमी अपनी जमानत बचाने में विफल रहे।

सीलमपुर में आप के अब्दुल रहमान ने भाजपा के संजय जैन को हराया, कांग्रेस के मतीन अहमद तीसरे स्थान पर रहे।

बल्लीमारान सीट पर आप के इमरान हुसैन ने भाजपा उम्मीदवार लता सोढी पर जीत दर्ज की।

मुस्तफाबाद में आप के हाजी युनूस ने भाजपा के जगदीश प्रधान को हराया।

मटिया महल में आप के शोएब इकबाल ने भाजपा के रविंद्र गुप्ता को हराया।

मुस्लिम क्षेत्रों में भी आप की जीत पर जाकिर नगर के पार्टी नेता महमूद अहमद ने कहा, "यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का काम है जिसने हमें यह जबरदस्त जीत दिलाई है। हमने अपना पूरा जोर लोगों के कल्याण पर लगाया।"


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