Top
Begin typing your search above and press return to search.

पवित्र नगरी में आस्था का रंग, धार्मिक आयोजनों की धूम

अषाढ़ सप्तमी पर पुण्य सलिला, पापनाशिनी, मोक्षदायिनी मां ताप्ती के जन्मोत्सव की नगर सहित पूरे क्षेत्र में धूम है

पवित्र नगरी में आस्था का रंग, धार्मिक आयोजनों की धूम
X

मुलताई। अषाढ़ सप्तमी पर पुण्य सलिला, पापनाशिनी, मोक्षदायिनी मां ताप्ती के जन्मोत्सव की नगर सहित पूरे क्षेत्र में धूम है। एक ओर जहां जगह-जगह धार्मिक आयोजन एवं अनुष्ठान्न हो रहे हैं वहीं अब जागरूकता का यह आलम है कि लोग श्रद्धा एवं आस्था के साथ ही जन्मोत्सव को पर्यावरण एवं जल संरक्षण से जोड़कर देखने लगे हैं। जिससे एक ओर जहां जलस्त्रोतों के संरक्षण की मुहीम तेज हो गई है वहीं पौधारोपण तथा वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये बारिश के पानी को भी भूमि में समाहित करने का अभियान चहुंओर चल रहा है जिससे यह उम्मीद की जा सकती है कि आगामी वर्षों में इन प्रयासों के सार्थक परिणाम अवश्य मिलेगें तथा मां ताप्ती के जन्मोत्सव पर धार्मिक आयोजनों के साथ ही सामाजिक सरोकारों एवं पर्यावरण बचाने की यह मुहीम दिन पर दिन रंग लाएगी। इस वर्ष नगर सहित पूरे क्षेत्र में मां ताप्ती का पावन जल ग्रामीणों द्वारा ले जाकर देवालयों तथा विद्यालयों की सफाई की गई। गांव में पौधा रोपण करते हुए गौपूजन हुए जिसमें युवा वर्ग पूरे उत्साह से जुटा।

इधर नगर में एक सप्ताह पूर्व से ही जन्मोत्सव के आयोजन प्रारंभ हो गए जिसमें ताप्ती तटों की सफाई से लेकर जगह-जगह वृक्षारोपण एवं जल सहेजने के उपक्रम हुए जिससे अब ताप्ती जन्मोत्सव महज एक धार्मिक आयोजन ना हो कर सामाजिक चेतना एवं जनजागरूकता की मुहीम बन गई है।

ताप्ती का भी हो सर्वांगिण विकास : नर्मदा की तरह ही मां ताप्ती के भी सर्वांगिण विकास की वर्तमान में आवश्यकता है। मां नर्मदा के विकास के लिए जिस तरह प्रदेश सरकार द्वारा नमामि नर्मदे अभियान चलाकर उसे सहेजने एवं संरक्षित करने के लिए सार्थक कदम उठाए गए उसी तरह मां ताप्ती के लिए भी प्रदेश सरकार द्वारा अभियान चलाया जाना जरूरी हो गया है। वर्तमान में मां ताप्ती उद्गम से निकलकर आगे अपनेे बहाव क्षेत्र में मूल स्वरूप खोती जा रही है जो चिंता का विषय है इसलिए मां ताप्ती के उद़्धार के लिए युद्धस्तर पर कार्यक्रम बनाकर इसके मूल स्वरूप को वापस लाना होगा जिसमें प्रदेश सरकार के साथ ही आमजन का भी जुड़ना अत्यंत आवश्यक है ताकि सभी की पोषक मां ताप्ती की कल-कल धाराएॅ बिना प्रदूषण के अविरल बह सके।

पदयात्रा से जनजागृति : मां ताप्ती के भक्तों द्वारा जन जागरण के माध्यम से जो पदयात्रा का आयोजन किया गया था उसके सार्थक परिणाम आना प्रारंभ हो चुके हैं। पूर्व में जहां पदयात्रा मात्र बैतूल जिले की सीमा तक ही जाती थी वहीं अब यह पदयात्रा उद्गम से गुजरात समागम स्थल तक जाने लगी है। पदयात्रा के माध्यम से ताप्ती तट पर बसे गांवों में जन चेतना की अलख जाग रही है तथा लोग ताप्ती को प्रदूषण मुक्त करने इसे सहेजने एवं संरक्षित करने के लिए एकजुट होते जा रहे हैं। यदि लोगों के साथ प्रदेश सरकार भी सहयोग करे तो मां ताप्ती जहां प्रदूषण मुक्त होगी वहीं तट भी संरक्षित होगें जिससे मां ताप्ती के आशीर्वाद से विकास के नए आयाम सामने आएंगे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it