आप के पार्षदों को ईमानदारी-वफादारी की शपथ शक की पराकाष्ठा
अरविन्द केजरीवाल द्वारा 'आप' के नवनिर्वाचित पार्षदों को ईमानदारी, वफादारी की शपथ दिलाने पर विपक्ष ने सीधे हमला करते हुए कहा है कि इससे साफ हो जाता है कि उनका पार्टी के पार्षदों में कोई विश्वास नहीं है

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा आम आदमी पार्टी के नवनिर्वाचित पार्षदों को ईमानदारी और वफादारी की शपथ दिलाने पर विपक्ष ने सीधे हमला करते हुए कहा है कि इससे साफ हो जाता है कि उनका पार्टी के पार्षदों में कोई विश्वास नहीं है। इसीलिए प्रत्येक नवनिर्वाचित पार्षद को निगम की पहली बैठक में संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है और इस संवैधानिक प्रावधान के चलते पार्टी के प्रति निष्ठा की शपथ बेमानी है।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी के उम्मीदवारों को टिकट बिना किसी जांच पड़ताल के दिया गया। क्योंकि यदि जांच की गई होती तो पार्षदों को शपथ दिलाने की नौबत नहीं आती। यह अविश्वसनियता की पराकाष्ठा है कि पार्षदों को शपथ दिलवानी पड़ी कि वे पार्टी और आन्दोलन को कभी धोखा नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि केजरीवाल पार्षदों का चुनाव करने से पहले ही उनकी ईमानदारी और वफादारी से आश्वस्त हो जाते। केजरीवाल विधायकों के चुने जाने बाद यह कहते थकते नहीं थे कि उनके 67 विधायक नगीने हैं, जो ईमानदारी और वफा में बेजोड़ हैं। दो वर्ष के भीतर ही उनके मंत्रियों और विधायकों की जो गत हुई उससे पार्टी की जग हंसाई हो रही है।
पार्षदों के मामले में इसके ठीक विपरीत ही हुआ उनकी ईमानदारी और निष्ठा पर पहले दिन से ही प्रश्न चिन्ह् लग गया है और जो अब आगे होगा उसका भगवान ही मालिक है।
उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित पार्षदों को संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है साथ ही उन्हें यह भी शपथ दिलाई जाती है कि सौंपे गए दायित्वों का निर्वाह्न वे पूरी ईमानदारी और परिश्रम से करेंगे। अब सवाल है कि जब निगम पार्षदों को संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है तब तथाकथित पवित्र पार्टी और आन्दोलन को धोखा न देने की शपथ का क्या औचित्य है?
उन्होंने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि किसी राजनीतिक पार्टी ने अपने पार्षदों को ईमानदारी तथा पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ दिलाई हो।


