छह माह में तैयार हो जाएगा शहर का पहला स्काई वॉक
सेक्टर-15 मेट्रो स्टेशन जाने के लिए मुसाफिरों को गोलचक्कर चौराहा पार करने की जरूरत नहीं होगी। यदि सब ठीक रहा तो आगामी दो से तीन महीने में यहा स्काई वॉक का निर्माण शुरू किया जाएगा
नोएडा। सेक्टर-15 मेट्रो स्टेशन जाने के लिए मुसाफिरों को गोलचक्कर चौराहा पार करने की जरूरत नहीं होगी। यदि सब ठीक रहा तो आगामी दो से तीन महीने में यहा स्काई वॉक का निर्माण शुरू किया जाएगा। इसके डिजाइन में बदलाव किया गया है। जिससे पहले के मुकाबले अब इसके बजट में एक से डेढ़ करोड़ रुपए की कमी आ गई है। नई डिजाइन आला अधिकारियों के समक्ष रखी जाएगी। मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा। नोएडा को दिल्ली से जोड़ने के लिए गोलचक्कर एक महत्वपूर्ण प्वाइंट है।
यह एक ऐसा चौराहा है जो दिल्ली के दो महत्वपूर्ण बार्डर को जोड़ता है। पहला अशोक नगर दूसरा नोएडा प्रवेश द्वार। अशोक नगर की आबादी करीब ढाई लाख है। यहा से दिल्ली जाने वाले अधिकांश लोग नोएडा सेक्टर-15 मेट्रो स्टेशन ही आते है। दिन में करीब 30 हजार लोग पैदल इस चौराहे को पार करते है। जबकि करीब दो लाख से ज्यादा वाहन प्रतिदिन चौराहे से होकर गुजरते है। ऐसे में यहा स्काईवॉक का निर्माण बेहद जरूरी है। प्राधिकरण भी इसे प्राथमिकता के तौर पर बनाना चाहती है। ऐसे में प्रस्तावित स्काई वॉक के डिजाइन में बदलाव किया गया है। खर्चे को कम करने के लिए स्काई वॉक पर लगाई जाने वाली स्वचालित सीढ़ियों को डिजाइन से हटा दिया गया है। यहा नार्मल सीढ़िया बनाई जाएंगी। स्काई वॉक पर तीन स्थानों से चढ़ा जा सकेगा। यह सीधे मेट्रो स्टेशन के प्रथम तल से जुड़ेगा। ऐसे में मेट्रो स्टेशन जाने व आने वाले ऐसे लोग जिनको गोलचक्कर से प्राधिकरण या सेक्टर-11 की ओर जाना है वह गोलचक्कर पर बनाए जाने वाली सीढ़ियों से उतर सकता है। इसके अलावा दो मार्ग सेक्टर-14 व सेक्टर-1 की तरफ बनाए जाएंगे।
इन तीनों मार्गो से स्काई वॉक पर चढ़ा और उतरा जा सकेगा। डिजाइन से पहले यह जानना जरूरी है कि स्काई वॉक क्या है। दरसअल, गोलचक्कर चौराहे पर बेहद भीड़ होती है। ऐसे में पैदल राहगीरों को सड़क पार करने में दिक्कत होती है। साथ ही वाहन चालकों को राहगीरों से जाम का सामना करना पड़ता है। लिहाजा एक ऐसा पुल जो सीधे मेट्रो स्टेशन से चौराहे को पार कर तीनों तरफ लोगों के चढ़ने व उतरने के लिए बनाया जाएगा। इसकी कुल लंबाई 280 मीटर होगी। चौड़ाई तीन मीटर होगी।
पहले परियोजना पर कुल ढाई करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे थे। लेकिन संसोधन के बाद अब इसे एक से डेढ़ करोड़ रुपए में बना लिया जाएगा। निर्माण में छह माह का समय लगेगा।


