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आतंकवाद से निपटने का चीनी मॉडल : सख्ती, तकनीक और कूटनीति का मेल

चीन ने जिस तरह से आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति तैयार की है, वो दुनिया के लिए एक दिलचस्प मॉडल बनता जा रहा है

आतंकवाद से निपटने का चीनी मॉडल : सख्ती, तकनीक और कूटनीति का मेल
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बीजिंग। चीन ने जिस तरह से आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति तैयार की है, वो दुनिया के लिए एक दिलचस्प मॉडल बनता जा रहा है। खासकर शिनच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश जैसे संवेदनशील इलाकों में उसकी कार्रवाई से साफ दिखता है कि वो इस मुद्दे को सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक स्थिरता से भी जोड़कर देखता है।

यही वजह है कि चीन आतंकवाद से निपटने के लिए, सख्त कानून, तकनीकी निगरानी, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, तीनों को बराबर तरजीह देता है।

एक बात जो चीन के नजरिए को बाकी देशों से अलग बनाती है, वो है उसकी “राज्य-केंद्रित” सोच। चीन मानता है कि आतंकवाद से लड़ाई में किसी देश की संप्रभुता का सम्मान सबसे जरूरी है। वो किसी बाहरी हस्तक्षेप को पसंद नहीं करता और अमेरिका जैसे देशों की एकतरफा कार्रवाई की आलोचना करता है।

चीन का साफ कहना है कि आतंकवाद के नाम पर किसी देश के अंदरूनी मामलों में घुसपैठ नहीं होनी चाहिए। यही वजह है कि वो आतंकवाद की परिभाषा को लेकर भी दोहरे मापदंडों के खिलाफ आवाज उठाता है।

शिनच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश में जो सख्ती दिखाई गई है, उसे लेकर चीन ने ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति अपनाई है। शिनच्यांग में ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ (ईटीआईएम) जैसे आतंकी संगठनों को लेकर उसका रवैया बिल्कुल स्पष्ट है, पूरी तरह से खत्म करना है। इसके लिए वो निगरानी, पुलिसिंग और यहां तक कि वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे उपायों का भी सहारा लेता है।

तकनीक की बात करें, तो चीन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा एनालिटिक्स और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन मॉनिटरिंग जैसे टूल्स के जरिए आतंकवादी गतिविधियों की पहचान और निगरानी को अगले स्तर पर पहुंचा दिया है।

चीन ये भी समझता है कि केवल ताकत से आतंकवाद खत्म नहीं होगा। गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा जैसी जड़ों को काटना भी जरूरी है। ये बात सही है कि अगर लोग खुशहाल हों, उनके पास रोजगार और बेहतर जिंदगी के मौके हों, तो चरमपंथ की राह पर जाने की संभावना कम हो जाती है। इसलिए वो शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास को भी अपनी आतंकवाद विरोधी रणनीति का हिस्सा मानता है।

चीन ने शिनच्यांग में आर्थिक विकास और शिक्षा पर भी ध्यान दिया है, जो लंबे वक्त में फायदेमंद हो सकता है।

कुल मिलाकर, चीन की आतंकवाद के खिलाफ रणनीति सिर्फ बंदूक और कानून तक सीमित नहीं है। उसमें कूटनीति है, टेक्नोलॉजी है और सामाजिक सोच भी। चीन की आतंकवाद विरोधी रणनीति निश्चित तौर पर प्रभावी है। इसने न सिर्फ शिनच्यांग में हालात को काबू किया बल्कि वैश्विक मंचों पर भी चीन को एक मजबूत आवाज दी। अपने पड़ोसी देशों के साथ उसका सहयोग भी इसी सोच का हिस्सा है कि अकेले नहीं, मिलकर ही इस वैश्विक खतरे से निपटा जा सकता है।


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