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चीन-पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए गांव का बच्चा-बच्चा तैयार

राजस्थान में बूंदी जिले के उमर गांव के नौजवानों में देशभक्ति का जज्बा देखने को मिलता हैे

चीन-पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए गांव का बच्चा-बच्चा तैयार
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बून्दी। राजस्थान में बूंदी जिले के उमर गांव के नौजवानों में देशभक्ति का जज्बा देखने को मिलता हैे अौर देश की खातिर मर मिटने एवं चीन-पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए गांव का बच्चा-बच्चा तैयार है।

बून्दी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे इस गांव में देश के लिए शहीद होने वालों की कमी नही है तथा वर्तमान में गांव के पांच सौ से अधिक नौजवान सेना में भारतीय सीमा पर दुश्मन से मुकाबले के लिए तैनात है।

पांच सौ परिवारों के इस गांव में फौजियों की आबादी अधिक है तथा वर्तमान में 1200 से अधिक पूर्व सैनिक पेंशन ले रहे है। पूर्व सैनिकों मे देशभक्ति का जज्बा आज भी बरकरार है। मीणा बहुल उमर गांव के नौजवान 1942 से लगातार सेना में सेवाएं देते आ रहे है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के बिहारी लाल मीणा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज के सैनिक रहे। आज भी द्वितीय विश्व युद्ध मे शहीद सैनिकों की विधवाएं गांव में है।

उमर ग्राम पंचायत के उमर, बासनी, किशनगंज, बटवाडी गांव में लगभग एक हजार फौजी है। इनमें 500 फौजी एवं 1200 पेंशनर अकेले उमर गांव मे होने से इसे फौजियों के गांव से भी पहचाना जाने लगा है।

गांव की परम्परा सेना मे भर्ती होकर देश के लिए कुर्बान होने की बन गई है। गांव के घर-घर मे फौजी है। कहीं पूरा परिवार ही सेना मे है। मेघवाल, राजपूत, भील, बैरवा, वाल्मिकी समाज के लोग भी सेना मे है।

सेना की भर्ती की खबर सुनकर उमरवासियों की भुजाएं फड़कने लगती है। गांव के कई जवान राजकीय पुलिस, केन्द्रीय पुलिस, सी.आर.पी.एफ. मे भी है। इस उमर गांव के वाशिन्दों का कहना है कि चीन एवं पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो हम हर पल दुश्मन को दिन में तारे दिखाने को तैयार है।

देशभक्ति का गजब जज्बा अपने दिल मे लिए सैकडों पूर्व सैनिक अब भी सीमा पर जाने को तैयार है चाहे वे अपंग एवं बुढे हो चले लेकिन देश प्रेम बरकरार है। युद्ध मे पैर गंवा चुके पूर्व सैनिक रामकिशन मीणा एक पैर से दुश्मन के दांत खट्ठे करने का हौसला रखता है।

कई पूर्व सैनिक अपने बेटों को युद्ध मे भेजने की बात कहते है। दशकों से चली आ रही गांव की परम्परा को जारी रखने का संकल्प गांव वासियों ने लिया है। बून्दी जिले मे सैकडों फौजी परिवार है और स्व. नन्दकिशोर शर्मा तो द्वितीय विश्वयुद्ध मे देशभक्ति का जज्बा दिखा चुके है और वह नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित हो चुके है।


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