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केंद्र सरकार को साफ करना चाहिए कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा व्यक्ति नहीं चाहिए : अशोक गहलोत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता की पेशकश को स्पष्ट रूप से खारिज करना चाहिए था। उन्होंने सरकार पर डैमेज कंट्रोल के लिए तिरंगा यात्रा निकालने का आरोप लगाया

केंद्र सरकार को साफ करना चाहिए कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा व्यक्ति नहीं चाहिए : अशोक गहलोत
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जयपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता की पेशकश को स्पष्ट रूप से खारिज करना चाहिए था। उन्होंने सरकार पर डैमेज कंट्रोल के लिए तिरंगा यात्रा निकालने का आरोप लगाया।

अशोक गहलोत ने कहा, "सरकार यह मानने को तैयार नहीं कि उससे गलती हुई। ट्रंप होते कौन हैं बीच में बोलने वाले? सरकार को कहना चाहिए था कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा व्यक्ति नहीं चाहिए। अब ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने मध्यस्थता कराई,ऐसे में कौन सच बोल रहा है? सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। यह मामला देश की संप्रभुता से जुड़ा है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।"

इसके अलावा, गहलोत ने विदेश में पाकिस्तान को बेनकाब करने और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने जा रहे संसदों के प्रतिनिधिमंडल के लिए सांसदों के चयन को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने जानबूझकर विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश की। गहलोत ने कहा, "कांग्रेस ने चार सांसदों के नाम भेजे थे, लेकिन सरकार ने दावा किया कि उसने नाम मांगे ही नहीं। फिर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन क्यों किया? यह साफ दिखाता है कि भाजपा ने शरारत की और चार नए नाम चुन लिए। हमें उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी के जो चार सांसद जो चुने गए हैं, वे अपनी भूमिका शानदार तरीके से निभाएंगे।"

गहलोत ने शशि थरूर के मामले पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "थरूर अनुभवी नेता हैं, पूर्व विदेश राज्य मंत्री रह चुके हैं और पार्टी उनका सम्मान करती है। लेकिन, थरूर को सरकार के ऑफर पर पार्टी हाईकमान से सलाह लेनी चाहिए थी। अगर थरूर ने कह दिया होता कि वे हाईकमान से बात करेंगे, तो यह विवाद ही नहीं उठता। उनकी गलती थी, लेकिन भाजपा की शरारत भी सबके सामने है।"

गहलोत ने आगे कहा कि इस तरह के मामलों में विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश अच्छी परंपरा नहीं है। पहलगाम जैसे मामलों के बाद देश एकजुट हुआ था, लेकिन भाजपा ऐसी हरकतों से बाज नहीं आती। सरकार को पारदर्शी और जवाबदेह होना होगा, ताकि देश की जनता के सामने सच्चाई आ सके। पार्टी इस मुद्दे को जनता के सामने ले जाएगी और सरकार की नाकामियों को उजागर करेगी।


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