Top
Begin typing your search above and press return to search.

पटना एम्स में गंभीर बीमारियों के ईलाज की व्यवस्था केंद्र सरकार ने रोक रखी है : प्रो. रणबीर नंदन

एम्स पटना की स्थापना 10 साल पहले 2012 में हुई थी

पटना एम्स में गंभीर बीमारियों के ईलाज की व्यवस्था केंद्र सरकार ने रोक रखी है : प्रो. रणबीर नंदन
X
एम्स पटना की स्थापना 10 साल पहले 2012 में हुई थी। लेकिन अभी तक किडनी, हार्ट ट्रांसप्लांट का यूनिट स्थापित नहीं हुआ है। कई क्रॉनिक बीमारियों का ईलाज अभी भी एम्स पटना में नहीं होता है। इसी मुद्दे पर जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि बिहार दूसरी बड़ी जनसंख्या वाला राज्य है। लेकिन केंद्र सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने के लिए कोई कदम नहीं बढ़ाया। एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना तो कर दी गई।
लेकिन आज भी डॉक्टरों के बिना ये विभाग बेकार पड़े हुए हैं। इससे तो यही स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार ने पटना एम्स में गंभीर बीमारियों के ईलाज की व्यवस्था रोक रखी है।
एम्स में डॉक्टरों की ट्रांसफर नीति पर सवाल उठाते हुए प्रो. नंदन ने कहा कि बिना डॉक्टरों के बड़े भवन बनाने से तो कुछ नहीं होने वाला। एम्स में एक ट्रांसफर नीति बनानी होगी जिसमें क्रॉनिक बीमारियों के ईलाज के लिए दूसरे एम्स के डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर वहां भेजा जा सके, जहां जरुरी है। एक एम्स पटना में भी खुल गया लेकिन गंभीर बीमारी के ईलाज के लिए अगर दिल्ली एम्स ही जाना पड़े तो पूरा लाभ जनता को कहां मिला? इस पर केंद्र सरकार को सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि एम्स पटना में सर्जरी के लिए गंभीर मरीजों को भी जल्द समय नहीं मिल पा रहा है। मरीजों की ज्यादा भीड़ और चिकित्सक, बेड की कमी इसका बड़ा कारण बन गया है। कैंसर के मरीज को भी समय मिलने में साल-डेढ़ साल का वक्त मिलता है। तो क्या इस बीच वो पीड़ित कैसे रहेगा? गॉल ब्लॉडर के ऑपरेशन के लिए तीन माह का वेटिंग मिल जा रहा है। यह तो विशुद्ध मजाक है। केंद्र सरकार ट्रांसफर पॉलिसी को जल्द लागू करे जिससे एम्स की स्थापना अलग अलग राज्यों में करने का मकसद पूरा हो सके।
प्रो. नंदन ने कहा कि देश में किडनी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है। देश की पूरी आबादी में 17 प्रतिशत मरीजों में किडनी की समस्या है। इनका इलाज डायलिसिस एवं ट्रांसप्लांट है। बिहार में भी किडनी मरीजों की संख्या 17 प्रतिशत से भी अधिक है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 15 लाख से अधिक बच्चे किडनी रोग से पीड़ित हैं। एम्स पटना में किडनी रोग के इलाज की पूरी व्यवस्था 2017 से ही उपलब्ध है। विभाग तैयार हो चुका है। इक्विप्मेंट्स भी हैं। लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण वहां इलाज नहीं हो पा रहा है। यही हाल हार्ट विभाग का भी है। कैंसर विभाग में भी यही स्थिति है।
प्रो. नंदन ने केंद्र सरकार पर बिहार के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए सवाल पूछा है कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि वे एम्स में डॉक्टरों की नियुक्ति कब करेंगे? बिहार की आबादी के अनुरूप स्वास्थ्य व्यवस्था के आवंटन में भेदभाव कब बंद करेंगे? एम्स पटना में किडनी, हार्ट, कैंसर के रोगों का वक्त पर पूरा ईलाज करने की व्यवस्था कब दुरुस्त होगी? भीड़ कम करने के लिए स्क्रीनिंग सिस्टम लागू करने का प्रस्ताव था। इसके लिए चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी। साथ ही स्त्री रोग, शिशु रोग और कैंसर प्रबंधन के सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक की भी स्थापना होनी थी। ये सब काम कब तक पूरे होंगे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it