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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, 21 मई को होगी सुनवाई

हरियाणा के सोनीपत के राई स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया । प्रोफेसर की गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है जिसकी 21 मई को सुनवाई होगी

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, 21 मई को होगी सुनवाई
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने पर सहमति जताई, जिन्हें हाल ही में हरियाणा पुलिस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित फेसबुक पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई के समक्ष मामले का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई की मांग की। अधिवक्ता सिब्बल ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर पर पूरी तरह से देशभक्ति से भरे बयान के लिए अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। इसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।”

इस मामले की तात्कालिकता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि मामले को 21 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

प्रोफेसर को गिरफ्तारी के बाद रविवार को मजिस्ट्रेट ने उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।

प्रोफेसर के खिलाफ पहला मामला गांव जटेड़ी के सरपंच द्वारा दर्ज कराया गया था। इसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196, 197, 152 और 299 के तहत मामला दर्ज किया गया।

दूसरा मामला हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर दर्ज हुआ, जिसमें सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी करने और आयोग के नोटिस की अवहेलना का आरोप है। इस मामले में पुलिस ने बीएनएस की धारा 353, 79, 152 और 169(1) के तहत केस दर्ज किया है।

डीसीपी कादियान ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और प्रोफेसर अली से पूछताछ कर अन्य तथ्य जुटाए जा रहे हैं।

यह मामला न केवल सोशल मीडिया पर हो रही गतिविधियों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि सार्वजनिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले व्यक्तियों की भूमिका पर भी गंभीर चर्चा को जन्म दिया है।

'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर कुछ अराजक तत्वों ने विवादित टिप्पणियां की हैं, जिन पर उचित कार्रवाई की जा रही है। कई लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए अनाप-शनाप बातें लिखी हैं, जिन्हें हटा दिया गया और उनके खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज कर लिए गए हैं।

कुछ नेताओं ने भी महिला सैन्य अधिकारियों को लेकर विवादित टिप्पणी की है, जिसे लेकर देश में एक नई बहस छिड़ गई है। लोग ऐसे नेताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


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