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बायर्स को आगे कर मंत्रियों ने बिल्डरों को पहुंचाया फायदा

पिछले कई साल से फ्लैट पर कब्जा पाने के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे के लाखों बायर्स बिल्डर, प्राधिकरण व शासन के बीच पिस रहे हैं

बायर्स को आगे कर मंत्रियों ने बिल्डरों को पहुंचाया फायदा
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ग्रेटर नोएडा। पिछले कई साल से फ्लैट पर कब्जा पाने के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे के लाखों बायर्स बिल्डर, प्राधिकरण व शासन के बीच पिस रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलने के बाद निवेशकों को उम्मीद जगी थी कि जल्द उन्हें फ्लैट पर कब्जा मिल जाएगा।

इसी उम्मीद के साथ मुख्यमंत्री ने बायर्स की समस्या का हल निकालने के लिए संसदीय कार्य व शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में तीन मंत्रियों की समिति गठित की थी। समिति ने दो दिन ग्रेटर नोएडा आकर बायर्स की समस्या सुनी और आम्रपाली व जेपी बिल्डर के 70 हजार निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा दिलाने का आश्वासन दिया। मंत्रियों के जाने पर बायर्स का पता लगा कि उनकी समस्या सुनने के बाद उन्हें राहत मिलने की उम्मीद नहीं लग रही है। समिति ने जिन आधारों पर बायर्स को फ्लैट पर कब्जा दिलाने का आश्वासन दिया उसका रास्ता इतना आसानी नहीं है।

बायर्स की आड़ लेकर मंत्रियों ने बिल्डरों का रास्ता आसान कर दिया। बिल्डर जो चाहते थे वहीं बात मान ली गई। इसमें फ्लैट बायर्स को किसी प्रकार की राहत मिलने की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। बायर्स के संगठन नेफोमा ने समिति के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और बिल्डर के खिलाफ आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया।
प्रदेश के संसदीाय कार्य व शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना व गन्ना, चीना व औद्योगिक विकास राज्य मंत्री सुरेश राणा ने 30 व 31 अगस्त को दो हजार बायर्स की समस्या सुनी। इसके बाद बिल्डरों के साथ बैठक कर उनकी बात सुनी। इसके बाद सुरेश खन्ना ने निर्णय सुनाया कि आम्रपाली व जेपी बिल्डर के 70 हजार बायर्स को फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के बाद ही बकाया पैसा देना होगा।

आम्रपाली के प्रोजेक्ट को को-डवलपर्स पूरा करेंगे। दो साल के अंदर प्रोजेक्ट पूरा कर 40 हजार बायर्स को फ्लैट पर कब्जा देंगे। इसी तरह जेपी भी नवंबर से हर माह छह सौ बायर्स को फ्लैट पर कब्जा देंगे। बायर्स जब निर्णय की तह में गए तब उन्हें पता चला कि राहत तो बिल्डर को मिला, उनके लिए और आफत खड़ा कर दिया। बिल्डर की मंशा को तीनों मंत्री समझ नहीं पाए और उनके सुझाव पर फैसला सुना दिया। आम्रपाली का ग्रेटर नोएडा में सात व नोएडा में 12 प्रोजेक्ट है। जिसमें करीब 40 हजार लोगों ने फ्लैट बुक करा रखा है। ज्यादातर बायर्स 90 फीसदी किश्त का भुगतान कर चुके हैं। इन बायर्स को तीन साल पहले फ्लैट पर कब्जा मिल जाना चाहिए था। मं़ित्रयों के फैसले से अब उन्हें दो साल और इंतजार करना होगा। दो साल बाद भी फ्लैट पर कब्जा मिल पाएगा इसकी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। आम्रपाली बिल्डर ने अपने सभी अधूरे प्रोजेक्ट को रेरा में रजिस्ट्रेशन करा चुका है।

रेरा में यह नियम है कि दो तिहाई बायर्स की सहमति पर ही को-डवलपर्स नियुक्त किया जा सकता है। बायर्स को-डवलपर्स को लेकर सहमत नहीं है। ऐसे में आम्रपाली के प्रोजेक्ट को को'-डवलर्स कैसे पूरा कर सकते है। बिल्डरों की संस्था के्रडाई ने मंत्रियों के साथ हुए समझौते में साफ तौर से कहा कि को-डवलपर्स की आम्रपाली की किसी प्रकार की देनदारी के जिम्मेदार नहीं है। आम्रपाली बिल्डर के ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 1600 करोड़ और नोएडा का करीब 1200 करोड़ रुपए बकाया है। प्राधिकरण की इस देनदारी को कौन पूरा करेगा।

इस पर समिति ने कोई फैसला नहीं लिया। अगर को-डवलपर्स दो साल से प्रोजेक्ट पूरा कर लेते है और प्राधिकरण के कंप्लीशन सार्टीफिकेट के लिए आवेदन करेंगे तो उन्हें पहले प्राधिकरण की सभी बकाया राशि का भुगतान करना होगा। प्राधिकरण का कोई भी अधिकारी कंप्लीशन के लिए सहमत नहीं होगा तब तक बकाया राशि का भुगतान नहीं हो जाएगा। तीनों प्राधिकरण की सीएजी ऑडिट चल रही है। आडिट में यह मामला प्राधिकरण अधिकारियों के गले की फांस बन सकती है। बिल्डरों ने तीन साल शून्य अवधि का लाभ चाहते हैं, 64.7 फीसदी अतिरिक्त पैसे पर ब्याज न लगाने की बिल्डरों ने मांग रखी है। इसी आधार पर वे को-डवलपर्स के लिए तैयार हुए है। जहां तक जेपी की बात यह है कि अगर वह नवंबर से हर महीने छह सौ बायर्स को फ्लैट पर कब्जा देता है तो वह कितने साल में 40 हजार बायर्स को फ्लैट पर कब्जा दे पाएंगे। जेपी के बायर्स को भी तीन साल पहले ही फ्लैट पर कब्जा मिल जाना चाहिए था। बायर्स ने बैंक से लोन ले रखा है।


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