रियल स्टेट सेक्टर पर पड़ेगा भार, प्राधिकरण ने कहा बिल्डर पैसा चुकाए तो छह महिने में रजिस्ट्री शुरू
बिल्डरों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में करीब 40 हजार करोड़ रुपए जमा कराने है

नोएडा। बिल्डरों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में करीब 40 हजार करोड़ रुपए जमा कराने है। रियल स्टेट सेक्टर में इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा। नई परियोजनाओं के निर्माण में भी देरी हो सकती है। कही न कही रियल स्टेट सेक्टर को नुकसान होगा। जिसका आकलन लगाना बिल्डरों में शुरू कर दिया है। वहीं प्राधिकरण ने स्पष्ट कहा कि यदि बिल्डर पैसा जमा कर दे तो छह महीने में रजिस्ट्री शुरू की जा सकती है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि बिल्डर नोएडा व ग्रेटरनोएडा प्राधिकरण को लीज डीड में दिए गए ब्याज शर्तों के अनुसार देना होगा। इससे दोनों प्राधिकरण को 19 हजार 301 करोड़ रुपए का वित्तीय लाभ हुआ। लेकिन रियल स्टेट सेक्टर पर इसका असर देखने को मिला है।
हाल ही में रेरा की ओर से जारी किए गए आकड़ों के तहत यूपी में 3600 करोड़ रुपए की नई परियोजाएं पंजीकृत हुई है। इसमें कुल 8116 यूनिट में से 6931 आवासीय और 1185 व्यवसायिक का निर्माण किया जाना है। इसमें नॉन एनसीआर की 24 और एनसीआर की 12 परियोजनाएं है। माना जा रहा है कि एनसीआर की परियोजनाओं पर इसका असर रहेगा।
एनसीआर में सबसे ज्यादा 7 परियोजनाएं गाजियाबाद में पंजीकृत की गई है। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर और मेरठ में 2-2 परियोजनाएं पंजीकृत की गई है। जबकि नॉन-एनसीआर में सबसे ज्यादा 4-4 परियोजनाएं आगरा व लखनऊ में पंजीकृत की गई है। इसके अलावा कानपुर, वृंदावन और मुरादाबाद में 3-3, और गोरखपुर में 2 परियोजनाएं पंजीकृत की गई है। झांसी, वाराणसी और गोरखपुर जिलों में एकल परियोजनाएं पंजीकृत हुई हैं।
वहीं नोएडा की बात की जाए तो यहां 116 प्रोजेक्ट है। जिसमें 1 लाख 66 हजार सेंशन यूनिट है। इसमें से 98 हजार ये अधिक को कंपलीशन सर्टिफिकेट मिल गया है। इसमें 60 हजार से अधिक की सबलीज हो चुकी है। करीब 12 हजार यूनिट अभी भी अधूरी है। इसके अलावा यूनिटेक और आम्रपाली में कई यूनिट है जिनका काम शुरू नहीं किया जा सका है। ऐसे में इन सभी प्रोजेक्टों पर असर दिखेगा।


