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लाल ईंटों के भट्टे बंद करने के फैसले से ईंट भट्टा संचालकों और मजदूरों में आक्रोश

लाल ईंटों का उत्पादन बंद करने के फैसले पर अड़े रहने से आक्रोशित ईंट भट्टा संचालक और मजदूरों में आक्रोष व्याप्त है। 

लाल ईंटों के भट्टे बंद करने के फैसले से ईंट भट्टा संचालकों और मजदूरों में आक्रोश
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श्रीगंगानगर । केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के देशभर में लाल ईंटों का उत्पादन बंद करने के फैसले पर अड़े रहने से आक्रोशित ईंट भट्टा संचालक और मजदूरों में आक्रोष व्याप्त है।

श्रीगंगानगर जिला ईंट भट्टा संघ के महामंत्री जोगेंद्र बजाज ने आज बताया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 25 फरवरी को अधिसूचना जारी की थी जिसके अनुसार एक वर्ष में लाल ईंट भट्टा बंद करके राख से (फ्लाईऐश) ईंटें और ब्लॉक्स बनाने के निर्देश दिये थे। यह निर्णय मंत्रालय ने नेशनल गीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के आदेश की पालना करते हुए दिया था। इसके लिये मंत्रालय ने आपत्तियां प्रस्तुत करने का 60 दिन का समय दिया। इस पर मंत्रालय को देशभर से लाखों आपत्तियां प्राप्त हुईं, लेकिन मंत्रालय ने अब इन आपत्तियों को सुनवाई किये बिना ही खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में ही लाल ईंट बनाने के 3200 ईंटभट्टे हैं। इन्हें किसी भी हालत में राख से ईंट और ब्लाॅक बनाने में तब्दील नहीं किया जा सकता। लिहाजा ये सभी भट्टे बंद करना पड़ेंगे।

देश भर में हजारों ईंट भट्टे हैं। इनके बंद होने से मजदूरों सहित लाखों लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जायेगा। श्री बजाज ने बताया कि अखिल भारतीय ईंट एण्ड टाइल्स निर्माता संघ का एक शिष्टमण्डल पिछले दिनों नई दिल्ली में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों से मिलने के लिए गया, लेकिन उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि
जितनी आपत्तियां आई थीं, उन पर कोई सुनवाई नहीं की जायेगी। बजाज ने आरोप लगाया कि यह अधिसूचना जारी करवाने में विदेशी कम्पनियों का दबाव है, जिसके कारण परम्परागत ईंट भट्टों पर संकट छा गया है। अखिल भारतीय स्तर पर शीघ्र ही भट्टों मालिकों का शिष्टमण्डल नई सरकार के गठन होने के बाद मुलाकात करने पर विचार कर रहा है।

उधर सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने बनाई नई नियमावली में निर्देश दिये हैं कि अब भट्टों से फ्लाईएश, चूना, जिप्सम और पत्थर की धूल से ही ईंट एवं ब्लॉक्स का उत्पादन किया जायेगा। इसमें 50 प्रतिशत कच्ची सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकेगा। यही नहीं, महीने में एक बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भट्टों की जांच करवानी होगी। प्रत्येक भट्टे पर सीसीटी कैमरे लगाने होंगे। नये नियमों के अनुसार भट्टे नहीं चलाने पर उन्हें सीज भी किया जा सकेगा।

इस सिलसिले में आज जयपुर में लाल ईंटों का उत्पादन करने वाले ईंट भट्टा मजदूरों ने सैकड़ों मजदूरों ने प्रदर्शन किया। सिविल फाटक के पास दोपहर 11 से 2 बजे तक धरना भी दिया।


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