22 साल से शरीर में धंसी है गोली
सहायक उपनिरीक्षक को 22 साल पहले गोली लगी थी जिसे शरीर से बिना निकलवाए अभी तक यातायात थाना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं

बिल्हा में डकैती की बड़ी योजना को किया था विफल
बिलासपुर। सहायक उपनिरीक्षक को 22 साल पहले गोली लगी थी जिसे शरीर से बिना निकलवाए अभी तक यातायात थाना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बिल्हा थाना क्षेत्र में सायकल से साथी के साथ गश्त करने के दौरान बड़ी डकैती की घटना के अंदेशों को विफल करते समय बदमाशों ने उन्हें गोली मारी थी जो आज भी उनके रीढ़ की हड्डियों में फंसी हुई है।
ज्ञात हो कि वर्ष 1996 में बिल्हा थाने में पदस्थ रहे आरक्षक रतिराम यादव को रात्रि गश्त के दौरान डकैतों ने गोली मारी थी। जिसे आज तक नहीं निकाला गया है। 1981 में पुलिस विभाग में आरक्षक के पद में नियुक्त हुए श्री यादव जब बिल्हा बस्ती क्षेत्र में आरक्षक साथी महेत्तर खूंटे के साथ सायकल में रात्रि गश्त में निकले हुए थे तब बस्ती की एक महिला ने उन्हें सूचना दी कि बस्ती में पांच से सात ऐसे लोगों को देखा गया है जो यहां के नहीं हैं जिनकी तलाश में दोनों आरक्षक सीटी बजाते हुए और टॉर्च से देखते हुए संदेहियों की तलाश कर रहे थे कि अचानक आरक्षक श्री यादव को टॉर्च की रौशनी में बस्ती के दो घरों के बीच के गलियारे में छुपे हुए बदमाशों पर नजर पड़ी जिसके बाद उन्होंने छुपे हुए लोगों को गली से निकलकर सामने आने को कहा जिसके बाद एक बदमाश रिवाल्वर लेकर बाहर आया और आरक्षक श्री यादव पर तान दिया जहां आरक्षक रतिराम ने उसे डंडे से मार कर नीचे गिरा दिया।
इसी बीच उस बदमाश ने दुबारा रिवाल्वर ताना तो आरक्षक रतिराम ने उसे जमीन पर गिराकर दबोच लिया और आस पड़ोस को मदद के लिए आवाज लगाई आवाज सुनकर साथी आरक्षक मदद के लिए दौड़ा और बस्ती वाले भी निकलने वाले ही थे बदमाश के अन्य साथियों में एक ने अपना रिवाल्वर निकालकर आरक्षक रतिराम यादव के पैर और पीठ के बीच गोली मार दी।
आवाज सुनकर बगल के बिल्डिंग की छत से स्थानीय निवासी राकेश बग्गा द्वारा जोर शोर से पुलिस की मदद करने आवाज लगाई तो बदमाश ने उन्हें भी गोली का निशाना बनाया और हादसे में उन्हें एक आंख खोनी पड़ी तथा साथी आरक्षक मदद के लिए पहुंंच पाता उससे पहले ही बदमाशों मौका देख भाग निकले। जिसके बाद घायल आरक्षक रतिराम को तुरंत बस्ती वालों की सहायता से धर्म अस्पताल जिसे वर्तमान में सिम्स के नाम से जाना जाता है।
उपचार के लिए लाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद हालत बिगड़ते देख तत्काल भिलाई सेक्टर 9 रिफर किया गया जहां एक महीना पंद्रह दिन तक उनका उपचार होना बताया और इसी बीच वरिष्ठ चिकित्सकों जान का खतरा अन्य दिक्कतों का हवाला देकर शरीर के अंदर फंसी गोली नहीं निकलने की सलाह िदेते हुए शरीर में ही रहने दिया जो आज तक उपनिरीक्षक रतिराम यादव के शरीर में मौजूद है जिसके बावजूद आज यातायात थाने में उपनिरीक्षक के पद पर पदस्थ रतिराम यादव शहर की टै्रफिक व्यवस्था को सुधारने अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


