लाइट और तकनीकि की खूबसूरत प्रस्तुति 'तिकिना'
शाब्दिक नाटकों के देखने का अपना सुख है, भारत में भी कई समूह हैं, जो इस तरह के नाटक करते हैं, पर इटली का तिकिना देखना अपने आप में अलग तरह का सुख था

भारत शर्मा
नई दिल्ली। गैर शाब्दिक नाटकों के देखने का अपना सुख है, भारत में भी कई समूह हैं, जो इस तरह के नाटक करते हैं, पर इटली का तिकिना देखना अपने आप में अलग तरह का सुख था। नाटक की पटकथा कसी हुई थी, इसमें जिस की लाईट और कठपुतलियों का इस्तेमाल किया गया, वो नाटक की प्रस्तुति में चार चांद लगाती है। लूका दी तोमेसो द्वारा लिखित इस नाटक में कुल चार पात्र थे, जिसमें दो निर्देशक थे, एक सहायक निर्देशक।
नाटक में तिकिना की भूमिका अदा कर रही सिमोना दि मेयो की ऊर्जा देखते ही बनती है। नाटक में तकनीकि का इस्तेमाल पहले ही सीन से किया गया है। जब मंच पर लाइट बंद हो जाती है और नाचती हुई एक लाईट मंच पर नजर आती है, तिकिना यही है। तिकिना प्रकट और लुप्त हो जाने वाली वस्तुओं, अजनबी ध्वनियों और रहस्यमयी प्राणियों से घिरे एक अंधेरे घर में रहती है।
हर किसी की तरफ उसे भी किसी दोस्त से मिलने की आशा है, पर झुर्रियों से भरा चेहरा और पपड़ी भरे हाथ के कारण हर कोई उससे भयभीत नजर आता है। कोई भी ऐसा नहीं है, जो उसके साथ रहे। अपनी यात्रा के दौरान लोगों को पता चलता है, कि वह किसी भी चीज को भूलवश या जानबूझकर छू ले, तो वह चीज विलुप्त हो जाती है या सूख जाती है। इसी बीच एक दिन छोटी से प्रकाश पुंज से उसकी प्रयोगशाला में पड़े पुराने कपड़े, कांच की शीशियों और कबाड़ से एक प्राणी जन्म लेता है, जो उसका अकेलापन दूर करता है।
नाटक पूरी तरह दर्शकों को बांधे रखता है। नाटक शब्दहीन है, इसलिए वो पूरी तरह अभिनेताओं की भाव भंगिमाओं के माध्यम से कहानी को आगे बढ़ता नजर आता है। नाटक में लाइट एक महत्वपूर्ण अंग होता है, पर इस नाटक में जिस तरह लाइट का प्रयोग किया गया है, वह अद्भूत है। कठपुतलियों का प्रयोग भी इस नाटक में बड़ी खूबसूरती से किया गया है। नाटक में कठपुतली एक महत्वपूर्ण अंग हैं। इटली की नाट्य शैली में हास्य एक महत्वपूर्ण शैली है, जो नाटक में नजर आता है।


