बजट का मूल मंत्र ‘बेच खाएंगे सबकुछ और छोड़ेंगे नहीं अब कुछ’: कांग्रेस
कांग्रेस ने संसद में पेश बजट-2021-22 को उम्मीद के विपरीत बताते हुए आज कहा कि इसमें पूरी तरह धोखा समेटा गया है और इसका मूल मंत्र ‘बेच खाएंगे सबकुछ और छोड़ेंगे नहीं अब कुछ’ पर आधारित है

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने संसद में पेश बजट-2021-22 को उम्मीद के विपरीत बताते हुए आज कहा कि इसमें पूरी तरह धोखा समेटा गया है और इसका मूल मंत्र ‘बेच खाएंगे सबकुछ और छोड़ेंगे नहीं अब कुछ’ पर आधारित है।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम एवं संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि निर्मला सीतारमण ने आज जो बजट पेश किया है उससे देश को भारी उम्मीदें थी लेकिन निर्मला सीतारमण का यह बजट भी ‘खोदा पहाड़ और निकली चुहिया’ वाली कहावत जैसा ही साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस बजट को अगर संक्षिप्त में कहें तो यह ‘धोखेबाज बजट’ है और इसका सार धोखा है क्योंकि यह पूरा बजट धोखे पर आधारित है जिसका सार है कि ‘बेच खाएंगे सब कुछ और छोड़ेंगे नहीं अब कुछ’। बजट ने गरीब, नौकरी पेशा लोगों, मजदूर, किसान, छोटे उद्योग और उन सांसदों को धोखा दिया गया है जो उम्मीद से वित्त मंत्री के बजट भाषण को सुन रहे थे।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बजट में राष्ट्रीय सुरक्षा को नकारा गया है और रक्षा बजट में एक फूटी कौड़ी भी नहीं बढ़ाई गई है। जब चीन हमारी सरजमीं पर कब्जा किए है ऐसे माहौल में रक्षा बजट की चर्चा तक नहीं करना सरकार की प्राथमिकता या उसकी कमी की ओर इशारा करता है। इसी तरह से काेरोना काल में दूसरा सबसे बड़ा महत्वपूर्ण पहलू स्वास्थ्य है लेकिन इसमें भी धोखा दिया गया है। यदि वित्त आयोग और टीकाकरण की कीमत को निकाल जाए तो स्वास्थ्य को लेकर पूरे बजट में आंकड़ों की जादूगरी हुई है।
उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा और वित्तीय घाटा लगभग साढ़े नौ से दस प्रतिशत तक पहुंच गया है यह निवेशकों और इसकी देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। सरकारी खर्चे में बढ़ोतरी नहीं की गयी है। सबसे बड़ा धोखा खेती के साथ किया गया और इसका बजट लगभग छह प्रतिशत काट दिया गया है। प्रधानमंत्री किसान योजना में 13 प्रतिशत की कटौती की गयी है। लघु और छोटे उद्योगों को बड़ा झटका देते हुए मात्र 15,700 करोड़ की घोषणा हुई है। नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के साथ भी धोखा हुआ है उन्हें एक फूटी कौड़ी की राहत नहीं दी गयी है।


