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बारों में मिल रही हर ब्रांड की शराब

राज्य शासन के शराब बेचने के फैसले के चौतरफा विरोध व शराबबंदी की मांग के बीच जिले में संचालित लगभग 10 बारों में आबकारी नीतियों की धज्जियां उड़ाई जा रही है....

बारों में मिल रही हर ब्रांड की शराब
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बिलासपुर। राज्य शासन के शराब बेचने के फैसले के चौतरफा विरोध व शराबबंदी की मांग के बीच जिले में संचालित लगभग 10 बारों में आबकारी नीतियों की धज्जियां उड़ाई जा रही है जो शराब दुकानों में नहीं मिल रही है वह बारों में आसानी से उपलब्ध है। एक बार रुम का लायसेंस लेकर छत, गार्डन, व अलग-अलग काउंटरों में शराब परेसी जा रही है। साथ में पार्सल सुविधा भी उपलब्ध है। दिन में 12 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक बार खुल सकते हैं लेकिन संचालक इसमें मनमानी कर रहे हैं। चार आबकारी उपनिरीक्षकों की निगरानी में बार संचालित हो रहे हैं लेकिन इन्हें शराब दुकानों में शराब बेचने से फुरसत नहीं है उधर बार संचालकों को खुली छूट दे रखी है।

शासन का दावा है कि कोचिया बंदी कर ली गई है लेकिन जिले में संचालित बार शासन के इस दावे की पोल खोल रहे हैं और राज्य के बाहर से शराब लाकर बारों में खपाई जा रही है। वहीं देर रात तक बार आबकारी उपनिरीक्षकों की मेहरबानी से प्रभारी खुली रहती है। शराब दुकानों में आहाता नहीं होने के कारण बारों में ग्राहक काफी बढ़ गए हैं। किसी भी बार का लगातार निरीक्षण नहीं किया जा रहा हैै। बार संचालकों को शासन की दुकान से ही शराब लेनी है लेकिन बारों में ऐसे ब्रांड की शराब परोसी जा रही है उस ब्रांड का शराब शासन की दुकानों में नहीं है।आखिर ये शराब कहंा से आ रही है। इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद भी बार प्रभारी उपनिरीक्षकों द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है। बार में लोगों का आना-जाना बढ़ जाने से कीमत बढ़ा दी गई है।
होटल के कमरों में परोसी जा रही शराब
सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी स्टेट व नेशनल हाईवे के सभी मयखानों को बंद कर दिया गया है। इसी कड़ी में जिले से लगभग 8 बारों को बंद कर दिया गया है। लेकिन नेशनल हाइवे के किनारे वे होटल जहां बार संचालित थे वहां बार तो बंद कर दिए गए हैं लेकिन आने वाले लोगों को रुम में ही शराब परोसी जा रही है, लेकिन कार्रवाई करने प्रशासन को फुर्सत नहीं है वहीं आबकारी टीम शराब दुकानें चलाने में व्यस्त हैं।
मनमानी कीमत
सरकारी अंग्रेजी शराब दुकानों में मूल्य सूची अभी तक नहीं लग पाई है। आबकारी विभाग का कहना है कि इस वर्ग के शराब में 828 ब्रांड आते हैं। इसलिए किसी भी दुकान में मूल्य सूची नहीं लगाई गई है। कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद भी जिले के सभी देशी-विदेशी दुकानों में रेट लिस्ट नहीं लगाई गई है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शार्टेज बताकर मनमानी कीमत में शराब बेची जा रही है। आबकारी उपनिरीक्षकों और सेल्समेनों के आपसी मिलीभगत से ग्राहकों को 10-20 रूपए अधिक कीमत में शराब मिल रही है।
जांच नहीं की जाती
राज्य शासन के शराब बेचने के फैसले के बाद पूरा आबकारी अमला मलाई खाने से वंचित हो गया है। लेकिन जिले में संचालित बारों पर मेहरबान होकर अपनी काली कमाई अभी भी बरकरार रखे हुए हैं। जिले में संचालित 10 बार आबकारी उपनिरीक्षकों के हवाले है और यहां इनके मेहरबानी से आबकारी अधिनियम को ताक में रखकर बार संचालन किया जा रहा है। प्रभारी आबकारी उपनिरीक्षकों को बार में झांकने की भी फुर्सत नहीं हे। सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर निरीक्षण कर दिया जाता है।
जिले में संचालित बार
शिवा बार, हैवन्स पार्क, नटराज बार, ईस्टपार्क बार, सूर्या बार,गोल्डन बार, आनन्दा बार, आनंद बार,मौर्या बार, रेड चिली बार।


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