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पवन देव के पक्ष में कैट के आदेश पर लगी रोक

लैंगिग उत्पीड़न मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण कैट द्वारा आईजी पवन देव के पक्ष में दिए गए आदेश पर पूर्णत: रोक लगा दी है

पवन देव के पक्ष में कैट के आदेश पर लगी रोक
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हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच का फैसला
बिलासपुर। लैंगिग उत्पीड़न मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण कैट द्वारा आईजी पवन देव के पक्ष में दिए गए आदेश पर पूर्णत: रोक लगा दी है।

एक महिला कांस्टेबल ने आईजी पवन देव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी जिसके पश्चात रेणु पिल्लई की अध्यक्षता में गठित इंटरनल कंप्लेंस कमेटी द्वारा जांच की गई थी। इस कमेटी ने आईजी पवन देव पर लगाए योग उत्पीड़न के आरोप को सही पाया था एवं दिसम्बर 2016 में रिपोर्ट शासन को सौप दी गई थी।

उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर पीड़िता ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 45 दिनों के भीतर आईजी पवन देव पर कार्रवाई करने का आदेश पारित किया था।

इसी बीच सरकार ने आईजी पवन देव को बचाने के लिए उनके खिलाफ अप्रैल 2018 में एक चार्जशीट जारी कर दी ताकि दिसम्बर 2016 की रिपोर्ट का महत्व खत्म हो जाए। जो कि लैंगिक उत्पीड़न एक्ट 2013 के भी विरूद्ध है।

लंबित प्रकरण में आईजी पवन देव ने यह प्रार्थना की थी कि सरकार द्वारा अपै्रल 2018 में जारी चार्जशीट खारिज की जाए। पवन देव द्वारा पीड़िता को उक्त प्रकरण में पक्षकार भी नहीं बनाया गया है।

अप्रैल 2018 में जारी चार्जशीट पर स्टे मांगने हेतु दायर अंतरिम आवेदन पत्र पर बहस करते समय आईजी पवन देव ने अधिकरण को गुमराह करते हुए दिसम्बर 2016 की रिपोर्ट पर हो रही कार्रवाई पर स्टे का आदेश प्राप्त कर लिया आईजी पवन देव के पक्ष में अधिकरण द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ पीड़िता ने हाईकोर्ट में प्रकरण दायर किया था जिसे स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का आदेशित किया गया। कैट द्वारा आईजी पवनदेव के पक्ष में दिए गए फैसले पर रोक लगा दी।


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