तड़पती प्रसूता ने टॉयलेट में दिया बच्चे को जन्म
प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को सिम्स में बेड खाली नहीं होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया गया

बिलासपुर। प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को सिम्स में बेड खाली नहीं होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया गया। महिला की तकलीफ देख परिजन टॉयलेट ले गए जहां महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। प्रसूति वार्ड में मरीजों की भीड़ इतनी रहती है कि बेड खाली नहीं रहता। उसके बाद भी सिम्स प्रबंधन वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में नाकाम साबित हो रहा है।
प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला को सिम्स के स्टाफ ने भर्ती करने से मना कर दिया। महिला को रक्तस्त्राव होता देख परिजन प्रसाधन कक्ष में ले गए। यहां महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। मुंगेली जिले के ग्राम गिधवा निवासी थानमति पति गणेश उम्र 32 वर्ष जिसे कल रात से प्रसव पीड़ा होने पर परिजन मितानिन को बुलाकर भानमति को लेकर मुंगेली जिला अस्पताल लेकर गए, जहां डाक्टरों ने रिस्क नहीं लेते हुए सिम्स रिफर कर दिया। देर रात परिजन सिम्स पहुंचे।
जहां महिला को लेकर आपातकालीन वार्ड में पहुंचे। सिम्स के डाक्टरों व स्टाफ कर्मी से परिजन लेबर वार्ड में शिफ्ट करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन इमरजेंसी वार्ड के इंचार्ज ने बेड खाली नहीं होने का हवाला देते हुए भर्ती नहीं कर पाने की बात कही। दर्द से तड़पती गर्भवती को देख सिम्स कर्मियों का दिल नहीं पसीजा। महिला का खून बहने लगा।
ऐसे में परिजनों ने उसे केजुवल्टी से उठाकर सामने बाथरुम में ले गए। उसके कुछ देर बाद महिला ने बाथरुम में ही बच्ची को जन्म दिया। इस मामले की जानकारी जब मीडिया को पता चली तो सिम्स प्रबंधन ने आनन-फानन में उसे एमरजेंसी वार्ड में जच्चा-बच्चा को भर्ती कर उपचार शुरु किया।
पहले भी हुई है लापरवाही
गौरतलब है कि सिम्स में इस प्रकार की लापरवाही पहले भी डॉक्टर, नर्स व स्टाफ द्वारा हो चुकी है। वहीं रात के समय सिम्स में मरीजों की हालत पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। ज्यादातर वार्ड खाली नहीं होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया जाता, नहीं तो दूसरे नीजि अस्पतालों में कुछ कमीशनखोरों द्वारा मरीजों को रिफर कर दिया जाता है।


