आजम की सदस्यता रद्द होने को लेकर शीर्ष अदालत में चुनाव आयोग की दलील-नहीं टाला जा सकता उपचुनाव!
हेट स्पीच मामले समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की गिरफ्तारी पर सर्वोच्च न्यायालय ने 15 नवम्बर तक रोक लगाने के साथ ही उनकी अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है

- विंध्यवासिनी त्रिपाठी
नई दिल्ली। हेट स्पीच मामले समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की गिरफ्तारी पर सर्वोच्च न्यायालय ने 15 नवम्बर तक रोक लगाने के साथ ही उनकी अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है। बावजूद उनकी विधानसभा सदस्यता फिलहाल बहाल होती नजर नहीं आ रही है। चुनाव आयोग ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि संवैधानिक कारणों से चुनाव आयोग उपचुनाव को टाल नहीं सकता है।
चुनाव आयोग की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दत्तार ने शीर्ष अदालत को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदस्यता रद्द करने और आयोग द्वारा सीट को रिक्त घोषित करने और उपचुनाव की घोषणा कर देने के बाद इसे टाला नहीं जा सकता है। दत्तार ने जोर देकर कहाकि संवैधानिक कारणों से ऐसा नहीं किया जा सकता है।
बतादें कि बीते 27 अक्टूबर को घृणा फैलाने वाले भाषण के मामले आजम खान को निचली अदालत ने 3 साल की सजा सुनाई थी। बुधवार को सर्वोच्च अदालत से उन्हें राहत मिल गई और उनकी अंतरिम जमानत मंजूर करते हुए गिरफ्तारी पर 15 नवम्बर तक की रोक लगा दी गई। लेकिन उनकी सदस्यता के मामले में शीर्ष अदालत ने अभी कोई फैसला नहीं सुनाया है।
आजम खान के वकील पी चिदम्बरम ने अदालत से कहाकि सरकार ने इस मामले में बहुत तेजी दिखाई और ऊपरी अदालत में अपील करने तक का समय नहीं दिया। इस मामले में मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहाकि क्या वह इंतजार नहीं कर सकता था। साथ ही कहाकि आजम को एक मौका मिलना चाहिए। क्या चुनाव आयोग हर मामले में ऐसा ही करेगा।
उन्होंने कहाकि चुनाव आयोग सुनिश्चित करे कि राजपत्र अधिसूचना 72 घंटे तक जारी न हो। इससे उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। फिलहाल इस मामले में चुनाव आयोग के वकील अरविंद दत्तार ने शीर्ष अदालत से कुछ समय मांगा।


