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भालुओं की आहट पर वन अमला जुटा रात्रि गश्त में

सक्ती व आसपास के क्षेत्र में बढ़ते भालूओं के धमक ने वन विभाग को परेशान कर रखा है

भालुओं की आहट पर वन अमला जुटा रात्रि गश्त में
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वर्षभर में रेसक्यू कर ७ भालुओं को पहुंचाया जा चुका है सुरक्षित ठिकानों तक
जांजगीर। सक्ती व आसपास के क्षेत्र में बढ़ते भालूओं के धमक ने वन विभाग को परेशान कर रखा है। पिछले पखवाड़े भर के भीतर रिहायसी इलाके में तीन बार इनके घूस आने से एक ओर जहां लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है, वहीं वन अमला लगातार रात्रि गश्त कर भालूओं के संभावित प्रवेश की निगरानी में जुटी हुई है।

अच्छी बात यह है कि राज्य शासन की ओर से जिले को जामवंत परियोजना में जोड़ लिया गया है, जिससे भालूओं को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराने विभाग को मदद मिलेगी, वहीं आम लोगों को भी जंगली जानवरों के आतंक से मुक्ति मिलेगी।

वन परिक्षेत्र सक्ती व आसपास के रिहायसी इलाकों में जंगली भालूओं के भटककर आने की घटना लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले वर्ष भर में वन अमला अब तक 7 रेसक्यू कर चुकी है, वहीं बीते पखवाड़े भर में 3 मामले सामने आये है। जिसमें सरहर, बाराद्वार व मालखरौदा शामिल है। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि जंगल में विचरण करने वाले भालु रिहायसी इलाकों में क्यों आ रहे है तथा किस क्षेत्र से भालू भटककर आ रहे है।

इन सवालों को लेकर वन विभाग गंभीरता से काम करने में जुट गई है। पिछले पखवाड़े भर से विभाग के आलाधिकारी से लेकर जवानों की अलग-अलग टीम रात्रि गश्त करने में जुटी है। जो यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किस क्षेत्र से भालु आने लगे है।

वहीं जंगलों में भालूओं के लिए सुरक्षित ठिकाना के साथ जलस्त्रोत व भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम शुरू किया गया है। जिसमें मसनियाकला क्षेत्र के जंगल में तालाब निर्माण के अलावा इसमें मछली पालन का काम किया जा रहा है। इसी तरह भालूओं को शाकाहारी चारा उपलब्ध कराने नर्सरी तैयार की जा रही है। साथ ही इनके पसंदीदा भोजन दीमक तैयार करने नारियल के खोल व छिलके इकठ्ठे कर दीमक कल्चर करने की दिशा में भी विभाग काम करना शुरू कर दिया है।

शासन की ओर से गत सितम्बर-अक्टूबर में ही जामवंत परियोजना के तहत 25 लाख की राशि मुहैया कराई गई थी, जिस पर फिलहाल काम किया जा रहा था। वहीं इसी हफ्ते कैम्पा से 25 लाख की राशि मिल जाने से अब विभाग भालूओं के संरक्षण की दिशा में तेजी से काम कर रही है। जिसमें वाटरबाडी तैयार करने के अलावा सोलर पंप के माध्यम से पानी की आपूर्ति बनाये रखने पर काम किया जा रहा है।

सात बार किया जा चुका है सफल रेसक्यू
वन विभाग द्वारा इसी साल भालूओं के भटककर रिहायसी क्षेत्र में आने की सात अलग-अलग घटनाओं में अभियान चलाकर भालूओं को पकड़ सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जा चुका है। खास बात यह रही है कि सभी अभियान सफल रहे है, जिसमें भालू की मौत नहीं हुई और इन्हें या तो जंगल में सुरक्षित छोड़ा गया या फिर कानन पेंडारी भेजा गया है।

भालू मित्र दल का होगा गठन
क्षेत्र में बढ़ रहे भालूओं के धमक के बीच डीएफओ ने बताया कि इससे आम लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसी सूचना तत्काल विभाग को पहुंचाने के लिए भालू मित्र दल का गठन प्रभावित क्षेत्र में किया जा रहा है। जिनकी सूचना पर रेसक्यू टीम समय पर पहुंचेगी।

पौने दो करोड़ का प्रोजेक्ट हो रहा तैयार
भालूओं के बढ़ते धमक पर चर्चा करते हुये डीएफओ सतोविशा सामाजदार ने बताया कि लगातार रेसक्यू के बाद शासन ने जिले को जामवंत परियोजना में सम्मिलित कर लिया है, जिसके तहत भालूओं के संरक्षण पर कार्ययोजना (एपीओ) तैयार कर 31 मार्च के पूर्व शासन को भेजने की तैयारी की जा रही है, जो 1 करोड़ 80 लाख के आसपास की है।

इस प्रस्ताव के मंजूर हो जाने से जिले सहित कोरबा, बिलासपुर के जंगलों में विचरण कर रहे भालूओं के संरक्षण की दिशा में कार्ययोजना तैयार करने में मदद मिलेगी। खासकर भालूओं को जंगल में ही भोजन व पानी की पर्याप्त उपलब्धता की दिशा में प्रयास किया जायेगा।


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