GST के विरोध में कपड़ा बाज़ार बंद
केन्द्र सरकार द्वारा एक जुलाई से लागू किये जा रहे जीएसटी के विरोध में आज समूचे प्रदेश में कपड़ा व्यवसाइयों ने अपने व्यवसाय बंद रखकर धरना दिया
जयपुर। केन्द्र सरकार द्वारा एक जुलाई से लागू किये जा रहे वस्तु सेवा कर ( जीएसटी ) के विरोध में आज समूचे प्रदेश में कपड़ा व्यवसाइयों ने अपने व्यवसाय बंद रखकर धरना दिया तथा जगह जगह पर जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर कपड़े पर लगाये गये जीएसटी करों को तुंरत लेने का ज्ञापन दिया गया।
राजधानी जयपुर में बडी चौपड पर कपडा व्यवसाइयों ने धरना लगाकर सरकार के जीएसटी विधेयक में वस्त्रों पर लगाये गये कर का विरोध करते हुये कहा कि इससे टेक्सटाईल्स उद्योग पर संकट आ जायेगा।
व्यापारियों का कहना है कि देश में आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब बिना सिले वस्त्रों पर पांच पतिशत कर लगाया गया है। राजस्थान में लगभग एक लाख से अधिक कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी के विरोध में बंद रखा।
राजस्थान कपड़ा व्यवसायी संघ ने जिला प्रशासन से बड़ी चौपड़ से राम लीला मैदान तक रैली निकालने की मांग की थी जिसे प्रशासन ने अनुमति देने से इंकार कर दिया । इसके बाद व्यवसायी बडी चौपड़ पर ही घरने पर बैठ गये।
कपड़ा व्यवसाईयों के बंद के कारण शहर के सभी क्षेत्रों में दुकानें बंद रही। बाहर से जयपुर आये वाले पर्यटकों को बगैर खरीददारी के निराश लौटना पडा। अनूपगढ़ में भी व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर सरकार के जीएसटी कानून का विरोध किया।
कपड़ा यूनियन के अध्यक्ष गिरीश चराया ने कहा कि बिना सीले हुए कपड़े पर कभी भी किसी सरकार ने टैक्स नही लगाया है। कपड़े को सदा सेल टैक्स या अन्य टैक्स से बाहर रखा गया है लेकिन जी एस टी में कपड़े को शामिल कर कपड़ा व्यापारियों के साथ गलत किया जा रहा।
कपड़ा व्यापारियों ने उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन देकर कपड़े को जी एस टी से मुक्त करने की मांग की। ज्ञापन में व्यापारियों ने लिखा कि भारत की 70 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे निवास करती है रोटी कपड़ा और मकान जैसी वस्तुओं पर जी एस टी लगाना जनता के साथ कुठाराघात करना है। प्रदेश के अन्य जिलों से भी कपड़ा व्यवसायियों द्वारा अपने प्रतिष्ठान बंद रखने के समाचार मिले है।


