पाठ्यपुस्तक की राजनीति : बसवन्ना पर विवरण को लेकर कर्नाटक में ताजा विवाद
कर्नाटक में पाठ्यपुस्तक में संशोधन पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है

बेंगलुरू। कर्नाटक में पाठ्यपुस्तक में संशोधन पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। सत्तारूढ़ भाजपा अब वीरशैव-लिंगायत समुदाय द्वारा पूजनीय समाज सुधारक बसवन्ना के बारे में विवरण को लेकर एक नए विवाद में फंस गई है। समुदाय के प्रमुख संतों ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से बसवन्ना के बारे में विवरण को ठीक करने का आग्रह किया है। उन्होंने संशोधन नहीं करने पर बोम्मई को विरोध प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है। वीरशैव-लिंगायत समुदाय राज्य में भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा है और इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल गंभीरता से विचार कर रहा है।
कूडलसंगम मठ के बसवा जया मृत्युंजय स्वामीजी और तारालाबालु मठ के पंडिताराध्य शिवाचार्य स्वामीजी ने राज्य सरकार को बसवन्ना पर पाठ के संशोधन के बारे में चेतावनी दी है।
जया मृत्युंजय स्वामीजी ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि बसवन्ना और कुवेम्पु द्वारा प्रचारित सिद्धांतों का अनादर किया गया है। बसवन्ना ने असमानता के कारण अपना घर छोड़ने का फैसला किया। हालांकि, अब पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न संस्करण प्रस्तुत किए जाते हैं। बोम्मई के पिता भी बसवन्ना के अनुयायी थे। उनके पास धार्मिक संतों का मार्गदर्शन है। उन्होंने कहा कि बसवराज को गलतियों को सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर चुप्पी न साधें और दुनिया को बसवन्ना के सिद्धांतों के बारे में बताएं और उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि उनके पिता कैसे रहते थे।
उन्होंने कहा, "हम बसवन्ना दर्शन को हुआ नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकते।"
पंडितराध्य शिवाचार्य स्वामीजी ने बसवन्ना के दर्शन को गलत तरीके से प्रस्तुत करने पर राज्यव्यापी विरोध की चेतावनी दी। उन्होंने बोम्मई को यह समझाते हुए लिखा है कि पाठ्यपुस्तक संशोधन समिति ने कक्षा 9 की पाठ्यपुस्तक में बसवन्ना पर पाठ का संपादन किया है।
शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने कुवेम्पु द्वारा लिखे गए क्षेत्रीय गान के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए सोमवार को कर्नाटक में एक अन्य प्रमुख समुदाय वोक्कालिगा के धार्मिक संत निर्मलानंदनाथ स्वामीजी से मुलाकात की थी।


