मॉस्को में आतंकी हमला दुखद
व्लादिमीर पुतिन द्वारा रूस के पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के महज़ पांच दिनों के भीतर ही देश की राजधानी मॉस्को में भीषण आतंकी हमला हुआ जिसमें लगभग 145 लोगों के मारे जाने की खबर है जो बहुत दुखद है

व्लादिमीर पुतिन द्वारा रूस के पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के महज़ पांच दिनों के भीतर ही देश की राजधानी मॉस्को में भीषण आतंकी हमला हुआ जिसमें लगभग 145 लोगों के मारे जाने की खबर है जो बहुत दुखद है। बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। सुरक्षा कर्मचारियों ने 100 से ज्यादा लोगों को बचा लिया। इसकी जिम्मेदारी दोषी संगठनों एवं इस हत्याकांड से जुड़े लोगों को सज़ा दिये जाने की ज़रूरत तो है, लेकिन निर्दोष नागरिकों या उस देश की इसमें अनावश्यक संलिप्तता न बतलाई जाये जो इसके जिम्मेदार न हों।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी कानून के अनुसार हो, न कि किसी अन्य तरीके से। रविवार को मरने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिये पूरे रूस में राष्ट्रीय शोक रहा। हमले की ही रात पुतिन ने देशवासियों को सम्बोधित किया। नेशनल सेक्यूरिटी कांउसिल के डिप्टी चेयरपर्सन दिमित्री मेदवेदेव ने तो साफ कर दिया है कि 'खून का बदला खून से लिया जायेगा’। सुरक्षा एजेंसियों ने चार आतंकियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। वह वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है जिसमें एक गिरफ्तार हमलावर बयान देकर अपराध कुबूल कर रहा है। पहले बताया जा रहा था कि हमला करने वालों की संख्या 5 है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तहकीकात के बाद ही पूरी वस्तुस्थिति सामने आएगी।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की रात राजधानी के कोकस सिटी हॉल में पांच आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर हॉल को जलाने की कोशिश की। 2009 में बना क्रोकस सिटी हॉल में कुछ बड़े सभागार हैं और यह स्थल लोगों के मनोरंजन का एक प्रमुख स्थल है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस के खुरासान विंग ने ली है। उसने मॉस्को के बाहरी इलाके में क्रास्नोगार्क शहर में ईसाइयों की एक सभा में भी हमला करने की जानकारी दी और बताया कि उसके सदस्य हमला कर मौके से निकल जाने में कामयाब हो चुके हैं। अभी इस पर विस्तृत बयान आना बाकी है। उत्तर पूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्केमेनिस्तान तथा उत्तरी अफगानिस्तान में सक्रिय इस संगठन को खुरासान के कारण आईएसआईएस-के कहा जाता है। 2014 से सक्रिय इस संगठन में रूस के अनेक लड़ाके शामिल बतलाये जाते हैं। इस संगठन का आरोप है कि पुतिन सरकार वहां के इस्लामी धर्मावलम्बियों पर अत्याचार करती है। चेचन्या एवं सीरिया में रूसी कार्रवाइयों के कारण तो इस संगठन की नाराज़गी है ही, सोवियत काल में अफगानिस्तान में हुई सैन्य कार्रवाई से भी वह बेहद खफ़ा है।
रूसी सरकार की नाराज़गी जायज है और यह भी सच है कि वहां के लोग इस हमले से बेहद दुखी हैं, जो कि स्वाभाविक है। फिर भी इस शोक की घड़ी में संतुलन और विवेक को बनाये रखने की आवश्यकता है। रूस में बड़ी संख्या में मुसलिम रहते हैं। पुतिन ने कहा है कि इस हमले के जरिये दो समुदायों को बांटने की कोशिश की जा रही है। सरकार ऐसा होने नहीं देगी। रूसी सरकार को यह भी शंका है कि इस हमले के पीछे यूक्रेन का हाथ हो सकता है। इस पर यूक्रेन सरकार ने बयान दिया है कि 'ये आरोप यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का उन्माद बढ़ाने के लिये लगाये जा रहे हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में यूक्रेन को बदनाम करने की कोशिश है। इसके जरिये यूक्रेन के विरूद्ध रूसी नागरिकों को लामबन्द किया जा रहा है।’ देखना यह होगा कि इस घटना और तत्सम्बन्धी लगाये जा रहे रूसी आरोपों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में किस तरह की प्रतिक्रिया होती है। रूस एवं यूक्रेन के बीच पिछले लगभग सवा साल से जंग जारी है। पश्चिमी देश नाटो (नॉर्थ एटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन) के माध्यम से यूक्रेन के साथ खड़े हैं। इस युद्ध में यह छोटा सा देश जिस मजबूती से दुनिया की सबसे बड़ी सामरिक शक्तियों में से एक कहे जाने वाले रूस के खिलाफ डटा हुआ है, उसका एकमेव कारण नाटो की मिलती सैन्य व अन्य तरह की मदद है।
उधर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर के अनुसार अमेरिका ने 7 मार्च को एक चेतावनी जारी की थी कि रूस पर कोई बड़ा हमला हो सकता है। उसने रूस में रहने वाले अपने नागरिकों को एडवायजरी भी जारी की थी कि अगले 48 घंटे वे किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रेमों में न जायें। देखना होगा कि इस चेतावनी को क्या रूसी सरकार या सुरक्षा प्रशासन ने अनसुना कर दिया था। वैसे तो गहन पूछताछ के बाद ही यह ज्ञात हो सकेगा कि इस हमले में आतंकियों का उद्देश्य क्या था। तो भी, ऐसे वक्त में रूस समेत सभी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को शांत रहने तथा विवेकपूर्ण कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। इस घटना के माध्यम से विभिन्न धर्मों व समुदायों के बीच कटुता व वैमनस्यता बढ़ने से रोकना होगा।
वैसे पिछले लगभग 25 वर्षों में रूस में अनेक आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं- सितम्बर, 1999 में आठ मंजिला इमारत में धमाका (118 मौतें), अक्टूबर, 2002 में मास्को थियेटर में धमाका (129 मौतें), जुलाई, 2003 में रॉक कन्सर्ट में धमाका (15 मृत), फरवरी, 2004 में मेट्रो में धमाका (41 मौतें), मार्च 2010 में आत्मघाती विस्फोट (40 मरे), जनवरी, 2011 में हवाईअड्डे पर आत्मघाती विस्फोट (37 की मौत) आदि। यह भी देखना होगा कि इस आतंकी हमले के कारण रूस-यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई और न भड़के। उस मसले को शांत किये जाने की तमाम कोशिशें पहले ही बेअसर हो चुकी हैं और जारी युद्ध में अब तक दोनों ओर से बड़ी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं तथा घायल हुए हैं। इस मामले को उससे तभी जोड़ा जाये जब उसके पुख्ता सबूत मिलें।


