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पत्रकारों पर तनाव : भारत में आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा खत्म

भारत और चीन ने एक दूसरे के पत्रकारों को अब लगभग पूरी तरह अपने-अपने यहां से निकाल दिया है. भारत में बचे आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा भी खत्म हो गया है. चीन ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार बताया है.

पत्रकारों पर तनाव : भारत में आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा खत्म
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बुधवार को चीन ने कहा कि पत्रकारों पर हो रही कार्रवाई के लिए भारत ही जिम्मेदार है. वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने चीनी पत्रकारों के वीजा की अवधि बेवजह ही कम कर दी और मई 2020 के बाद से वीजा जारी नहीं किये हैं.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, "भारत में आखिरी बचे चीनी पत्रकार का वीजा भी खत्म हो गया है. हमारे पास अब उचित कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.” हालांकि माओ ने यह नहीं बताया कि क्या कार्रवाई की जा रही है.

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इससे एक दिन पहले ही अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खबर छापी थी कि भारत और चीन एक दूसरे के पत्रकारों पर कार्रवाई कर रहे हैं. जर्नल ने लिखा था कि दोनों देशों में एक दूसरे के पत्रकार अब लगभग पूरी तरह से निकाल दिये गए हैं.

भारत के पत्रकार भी नहीं बचे

द हिंदू के संवाददाता अनंत कृष्णन ने ट्विटर पर लिखा था कि चीन में अब "एक ही पंजीकृत भारतीय पत्रकार बचा है. दुर्भाग्य से जल्दी ही यह शून्य हो सकता है.”

इससे पहले मई में भारत सरकार ने चीन के सरकारी मीडिया संस्थानों के लिए काम करने वाले दो पत्रकारों को वीजा देने से इनकार कर दिया था. इनमें से एक शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के लिए काम करते हैं जबकि दूसरे चीनी सेंट्रल टेलीविजन के लिए.

भारत के चार पत्रकार अब भी चीन में काम कर रहे हैं लेकिन उनमें से कम से कम दो को लौटने के लिए वीजा नहीं दिये गए हैं. तीसरे को बताया गया है कि उनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है, हालांकि वह अभी चीन में ही हैं.

माओ ने कहा कि भारत ने उनके पत्रकारों के साथ बरसों से अन्यायपूर्ण व्यवहार किया है. उन्होंने कहा, "चीनी पत्रकारों के साथ वर्षों से भारत में अन्यायपूर्ण और भेदभाव भरा व्यवहार होता रहा है. 2017 में भारत ने बिना किसी वजह से चीन पत्रकारों की वीजा अवधि घटाकर तीन महीने और यहां तक कि एक महीने तक कर दी. भारत की तरफ से लगातार किये जा रहे दमन के जवाब में चीन को उचित कार्रवाई करनी पड़ी ताकि चीनी मीडिया के अधिकारों और हितों की रक्षा की जा सके.”

माओ ने कहा कि सामान्य स्थिति में वापसी का दारोमदार भारत पर है. उन्होंने कहा, "यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत चीन के साथ एक ही दिशा में काम कर सकता है या नहीं और चीनी पत्रकारों को भारत में मदद और सुविधाएं उपलब्ध करवा सकता है या नहीं.”

तनाव जारी है

जून 2020 के बाद से ही भारत और चीन के बीच रिश्तों में तनाव जारी है जबकि दोनों देशों के सैनिकों के बीच लद्दाख में हुई झड़प में कम से कम 20 भारतीय और चार चीनी जवान मारे गये थे. तब से दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 18 दौर की बातचीत हो चुकी है जबकि सीमा पर जमावड़ा दोनों ओर से बढ़ता जा रहा है.

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इस बीच भारत पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में लगा हुआ है. क्वॉड सदस्यों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत ने गहरे संबंध बनाने के लिए गंभीर कोशिशें की हैं. ये तीनों देश भारत को चीन के विकल्प के रूप में देखते नजर आते हैं.

उधर बीजिंग ने अब तक भारत में अपने नये राजदूत की नियुक्ति नहीं की है जबकि पूर्व राजदूत सुन वेईडोंग पिछले साल ही पद छोड़ चुके हैं.


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