तेलंगाना पुलिस ने अपराध नियंत्रण में नए कीर्तिमान बनाए
अपनी कल्याणकारी और विकास योजना के साथ अगर तेलंगाना देश में अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत के तौर पर उभर रहा है

- मोहम्मद शफीक
हैदराबाद। अपनी कल्याणकारी और विकास योजना के साथ अगर तेलंगाना देश में अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत के तौर पर उभर रहा है तो भारत के सबसे युवा राज्य का पुलिस बल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा का प्रयास कर रहा है।
प्रौद्योगिकी का लाभ लेने में अन्य राज्यों की तुलना में पहले से ही आगे पुलिस बल बेहतर पुलिसिंग, लोगों के साथ बेहतर तालमेल और सेवा आपूर्ति के लिए अपनी पहलों के साथ नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हैदराबाद में एक विश्वस्तरीय एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र बनने जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 350 करोड़ रुपये है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में दो टॉवर होंगे, जिसमें से एक 20 मंजिला और दूसरा 15 मंजिला होगा।
2014 में जब तेलंगाना, आंध्र प्रदेश से अलग हुआ था तो कुछ लोगों को बहुत-सी आशंकाए थीं कि नक्सली चरमपंथी दोबारा अपना सर उठाएंगे, लेकिन बीते एक दशक में इस पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया गया है।
तेलंगाना आंदोलन के दौरान पैदा हुई बहस में आंध्र प्रदेश व हैदराबाद और उसके इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों की सुरक्षा के बारे में भी सवाल उठाए गए थे। हालांकि यह डर निराधार साबित हुआ।
2014 में राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद से मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना पुलिस को एक आधुनिक संगठन में तब्दील करने के अपने विजन पर प्रमुखता से जोर दिया।
बल को आधुनिक बनाने हेतु पुलिस थानों के लिए नए गश्ती वाहनों की खरीद और आपात फोन पर प्रतिक्रिया में लगने वाले समय में सुधार सबसे पहले कदमों में से एक थे।
इन कदमों के वांछित परिणाम सामने आए। वर्तमान में साढ़े आठ मिनट औसतन प्रतिक्रिया समय है, जबकि हैदराबाद में आपके पास पांच मिनट से कम समय में पुलिसिया मदद पहुंच जाती है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आपात प्रतिक्रिया के लिहाज से तेलंगाना का देश भर में कोई जवाब नहीं है।
पुलिस महानिदेशक एम. महेंद्र रेड्डी का कहना है, "किसी अन्य राज्य के पास राज्यव्यापी आपात प्रतिक्रिया प्रणाली नहीं है।"
पुलिस प्रमुख ने आईएएनएस को बताया, "तेलंगाना में सभी 800 पुलिस थानों के पास आपात कॉल पर प्रतिक्रिया के लिए समर्पित वाहन हैं। यहां तक कि ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में भी आपात समय करीब 15 मिनट है, जबकि शहरी क्षेत्रों में पांच से 10 मिनट में पुलिस मदद पहुंचती है।"
रेड्डी ने कहा, "घटना स्थल पर पहुंचना काफी नहीं है। वहां पहुंचकर सबसे पहले वे क्या करते हैं, यह महत्वपूर्ण है। इसलिए हमने अपने कार्यों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कार्य जारी रखे हैं।"
ग्रेटर हैदराबाद की सीमा को कवर करने वाले तीन पुलिस आयुक्तों में अधिकतर पहलें शुरू की गई हैं। हैदराबाद और आसपास के क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों, रक्षा और अनुसंधान संगठनों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों सहित सभी तकनीकी दिग्गजों के कार्यालय स्थित हैं। राज्य ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए कानून-व्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
पुलिस अपराध को रोकने और उसका पता लगाने के लिए सामुदायिक पुलिसिंग के हिस्से के रूप में ग्रेटर हैदराबाद में पहले से ही पांच लाख सीसीटीवी कैमरे लगा चुकी है। अगले तीन वर्षों में पांच लाख कैमरे और लगाने की योजना है। राज्य के बाकी हिस्सों में पांच लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
2018 में तेलंगाना पुलिस देश में चेहरा पहचान प्रणाली (एफआरएस) का इस्तेमाल करने वाली पहली पुलिस बल बनी, जो पुलिस को अपराध रोकने और अपराधियों व संदिग्धों को पकड़ने में मदद कर सकता है।
वारंगल जिले में इंटर-ऑपरेशनल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम शुरुआती स्तर पर है, जो पुलिस थानों को अदालतों, जेलों, फॉरेंसिक लैब और फिंगर प्रिंट ब्यूरो के साथ जोड़ती है। फ्रिंगर प्रिंट ब्यूरो में पूरे भारत के अपराधियों के फिंगरप्रिंट होते हैं।


