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कैबिनेट विस्तार पर चर्चा के लिए तेलंगाना सीएम दिल्ली में

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी मंत्रियों को विभागों के आवंटन और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में कांग्रेस नेतृत्व के साथ चर्चा करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे।

कैबिनेट विस्तार पर चर्चा के लिए तेलंगाना सीएम दिल्ली में
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हैदराबाद । तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी मंत्रियों को विभागों के आवंटन और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में कांग्रेस नेतृत्व के साथ चर्चा करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे।

मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद, वह बेगमपेट हवाई अड्डे से एक विशेष विमान से राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे।

गुरुवार को शपथ लेने वाले 11 मंत्रियों के बीच वितरित किए जाने वाले विभागों पर वो एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत करेंगे।

एक-दो दिन में छह मंत्रियों के नाम फाइनल होने की संभावना है।

तेलंगाना में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 18 मंत्री हो सकते हैं। मंत्री पद के लिए विभिन्न हलकों से मांग आ रही है। कांग्रेस नेतृत्व उन वर्गों को प्रतिनिधित्व देना चाहता है जो छूट गए हैं।

30 नवंबर के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं चुना गया, इसलिए माना जा रहा है कि नेतृत्व एक या दो मुसलमानों को शामिल करने और बाद में उन्हें विधान परिषद में नामांकित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के नामों पर विचार चल रहा है। शब्बीर ने संयुक्त आंध्र प्रदेश में वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में कार्य किया था। वो निज़ामाबाद शहरी से चुनाव हार गए, जबकि अज़हरुद्दीन को जुबली हिल्स निर्वाचन क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा।

पूर्व मंत्री जीवन रेड्डी, मधु यास्खी गौड़ और जग्गा रेड्डी जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी मंत्रिंमंडल में शामिल करने की मांग चल रही है, जो विधानसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो सके। 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटें हासिल कर कांग्रेस राज्य की सत्ता पर काबिज हुई।

गुरुवार को शपथ लेने वाले सभी मंत्री नवनिर्वाचित विधायक हैं। कुछ विधायक भी कैबिनेट पद के प्रबल दावेदार हैं।

पार्टी उन समुदायों और क्षेत्रों को प्राथमिकता दे सकती है, जिन्हें मंत्रिमंडल का गठन करते समय प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा सका।

केंद्रीय नेतृत्व मंत्रियों को आवंटित किये जाने वाले विभागों पर भी फैसला करेगा।


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