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प्रौद्योगिकी जोड़ती है तोड़ती नहीं : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि प्रौद्योगिकी आकांक्षा और उपलब्धि के बीच सेतु का काम करती है और यह जोड़ने का काम करती है तोड़ने का नहीं।

प्रौद्योगिकी जोड़ती है तोड़ती नहीं : मोदी
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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि प्रौद्योगिकी आकांक्षा और उपलब्धि के बीच सेतु का काम करती है और यह जोड़ने का काम करती है तोड़ने का नहीं।

मोदी ने टाटा संस बोर्ड के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन और टाटा समूह की अर्थशास्त्री रूपा पुरूषोथानम की पुस्तक ‘ब्रिजटल नेशन’ के विमाेचन के मौके पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और प्रतिभा खतरा नहीं बल्कि आपकी ताकत और मजबूती बढाने का काम करती है। इसे खतरे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि यह आकांक्षा और उपलब्धि के बीच सेतु की तरह है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी एक सेतु है और विभाजन का काम नहीं करती। विशेष तौर पर भारत के संदर्भ में प्रौद्योगिकी को विशाल आबादी से होने वाले फायदे के संदर्भ में चुनौती के रूप में पेश करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि पुस्तक ने सरकार के उस विजन को और मजबूत किया है, जिसके मुताबिक प्रौद्योगिकी जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का नहीं।
उन्होंने कहा कि यह किताब ऐसे समय में आई है, जब प्रौद्योगिकी को लेकर आशंका फैलाने की बहुत बड़ी कोशिश हो रही है। डर का एक माहौल खड़ा करने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आकांक्षी भारत को तो प्रेरित करेगी ही समाज के कुछ पेशेवर निराशावादियों को भी नये दृष्टिकोण के लिए प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि यही सकारात्मकता , आशावाद , अपनी प्रतिभा और संसाधन पर यही विश्वास नए भारत की सोच है।

मोदी ने कहा कि यह पुस्तक मुस्कुराहट और तनाव रहित मस्तिष्क का परिणाम है। इससे देश की समस्याओं के समाधान के लिए सोच निकल सकती है। इस किताब में बेहतरीन तरीके से बताया गया है कि कृत्रिम बुद्धिमता, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स जैसी आधुनिक टेक्नॉलॉजी कैसे विकास के औजार के रूप में मदद करने वाली है।

उन्होंने कहा कि पुस्तक में देश में हेल्थकेयर की स्थिति पर रोशनी डाली गई है। खासतौर पर, इलाज ना कराने का ‘मेंटल ब्लॉक’ जो हमारे देश में गरीबी के कारण रहा है, पैसे के अभाव के कारण रहा है। आयुष्मान भारत योजना इस स्थिति को बदलने की दिशा में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है।
उन्होंने कहा कि इन सभी बातों के बीच यह भी सही है कि केवल प्रौद्योगिकी ही हर चीज का समाधान नहीं होती, व्यक्ति की सही मंशा बहुत ज़रूरी है और यही बात कृत्रिम बुद्धिमता पर भी लागू होती है। उन्होंने कहा , “ हमें अपने कौशल को मांग के अनुसार उन्नत करना होगा। बहस यह नहीं होनी चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमता से खतरा क्या है?

रोबोट इंसान से स्मार्ट कबतक होगा? बल्कि यह होनी चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमता और व्यक्ति की मंशा के बीच सेतु कैसे बनाया जाये।


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