Top
Begin typing your search above and press return to search.

नई शिक्षा नीति के विरोध में कोविंद को ज्ञापन देंगे शिक्षक

स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 34 साल के बाद घोषित नई शिक्षा नीति को अस्वीकार कर दिया है

नई शिक्षा नीति के विरोध में कोविंद को ज्ञापन देंगे शिक्षक
X

नयी दिल्ली । स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 34 साल के बाद घोषित नई शिक्षा नीति को अस्वीकार कर दिया है और उसके विरोध में शनिवार से ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया है। यह अभियान एक माह तक चलेगा और लाखों लोगों से हस्ताक्षर करवा कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।

स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिजीत मुखर्जी (पश्चिम बंगाल) और महासचिव सी.एन. भारती (हरियाणा) ने रविवार को यहां एक जारी बयान में यह जानकारी दी।

गौरतलब है कि शनिवार को शिक्षक दिवस पर देश के विभिन्न इलाकों में नई शिक्षा नीति के विरोध में धरना प्रदर्शन भी हुए।

श्री भारती ने कहा कि नई शिक्षा नीति में ना केवल अति केन्द्रीयकरण, निजीकरण, व्यापारीकरण तथा भगवाकरण है बल्कि वह समता, समानता और सामाजिक न्याय विरोधी भी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार द्वारा सबको शिक्षित करने की जिम्मेवारी से पीछे हटने का ही मसौदा है, इसलिए इसको स्वीकार नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि दुनिया 21वीं सदी में जी रही है, जिसमें सभी क्षेत्रों में नए-नए ज्ञान व तकनीक के भंडार खुल रहे हैं। सभी देश प्रगतिशील, वैज्ञानिक दृष्टि, समानता, मानवतावाद को आगे रखकर अपनी शिक्षा नीति बना रहे हैं, वहीं भारत जैसा बड़ा देश समाज को हजारों वर्ष पीछे के अंधविश्वास और काल्पनिक कहानियों में उलझाने की नीति बना रहा है। इसके साथ-साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की ताकत एवं संविधान के मुख्य बिंदु समाजवाद तथा धर्म निरपेक्षता को भी वर्तमान शिक्षा नीति में कोई स्थान न दिए जाने पर भी इस शिक्षा नीति को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

शिक्षक दिवस पर देश भर में , छात्राें, अभिभावकाें, शिक्षकों तथा बुद्धिजीवियों ने देश भर के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करते हुए संबंधित जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए गए। इस विरोध प्रदर्शन को जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी एवं जैसलमेर से लेकर त्रिपुरा तक आयोजित किया गया।

श्री भारती ने कहा कि बड़े खेद और निंदा का विषय है कि शिक्षक दिवस के अवसर पर भी दिल्ली तथा त्रिपुरा में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले अध्यापकों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति आरक्षण, संघवाद, विविधता में एकता एवं शिक्षा अधिकार कानून का भी सीधा-सीधा उल्लंघन तो करती ही है, साथ ही बहुमत की तानाशाही पूर्ण तरीके से शिक्षा जैसे क्षेत्र में भी पूंजीवादी लूट की छूट एवं शिक्षा को साम्प्रदायिक रंग देते हुए भारत को एक धार्मिक राष्ट्र बनाने पर केन्द्रित है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it