जिद पर अड़े शिक्षाकर्मी, पढ़ाई का बंटाधार
संविलियन सातवां वेतनमान सहित अन्य मांगों पर सहमति नहीं बनने के चलते शिक्षा कर्मियों ने हड़ताल शुरू कर दी है
रायपुर। संविलियन सातवां वेतनमान सहित अन्य मांगों पर सहमति नहीं बनने के चलते शिक्षा कर्मियों ने हड़ताल शुरू कर दी है। इस वजह से स्कूलों के पढ़ाई का बंटाधार होने जा रहा है। जबकि नियमित आने वाले विद्यार्थी स्कूल पहुंचने के बाद कक्षाओं को मैदान बनाकर क्रिकेट और फुटबॉल खेल रहें हैं।
यहां तक कि कई स्कूलों में शिक्षकों के उपस्थिति नहीं पाकर छुट्टी दे दी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि दो माह बाद प्रारंभ होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिये परीक्षार्थी किस तरह से तैयार हो पायेंगे। वहीं आंदोलित शिक्षकों का कहना है कि इन परेशानी की वजह सरकार है। जिसे शिक्षा कर्मियों की मांग को समझकर निराकरण की तरफ बढ़ना चाहिए।
गौरतलब है कि शिक्षक पंचायत नगरी निकाय संघ व प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के मध्य रविवार के दिन हुई चर्चा विफल हो गई है। इस विफल चर्चा के पश्चात शिक्षाकर्मियों ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। सभी शिक्षक बूढ़ातालाब धरना स्थल पर धरना देकर मांगों के समर्थन में नारे लगाते दिखलाई पड़ रहे है। इधर शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से स्कूलों में विरानी छा गई है। कक्षाएं खाली हैं। विद्यार्थी टेबल पर तरह-तरह की डिजाइन बनाकर खेल रहे है। साथ में कक्षाओं को मैदान बना लिया है।
इधर आंदोलित शिक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान शिक्षकों ने हड़ताल को टालने का भरसक प्रयास किया। लेकिन मांगों पर सहमति नहीं बनी। इसमें जिन प्रमुख मांगों में शासन ने सहमति दी है उनमें पुराने वेतनमान की विसंगतियों को दूर कर सहमति बनाई जायेगी। क्रमोन्नति वेतनमान पर एक राय कायम की जायेगी।
वहीं शासन ने शिक्षकों की शासकीय कर्मचारी घोषित करने की मांग को मना कर दिया है। साथ ही सातवां वेतनमान देने की भी फिलहाल इंकार कर दिया है। ऐसे में शिक्षक पंचायत संघ के आंदोलित शिक्षकों का कहना है कि अब पुन: आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। क्योंकि प्रदेश सरकार शिक्षकों की समस्याओं को समझने के लिये तैयार नहीं है। अलबत्ता हालात यह है कि शासकीय व अनुदान प्राप्त शालाओं में ताला लगने जा रहे क्योंकि शिक्षकों के आंदोलन पर चले जाने के बाद विद्यार्थी स्वयं स्कूल आना छोड़ देते हैं।
मध्यान्ह भोजन की अफरा-तफरी
इधर शिक्षकों के आंदोलन में चले जाने के बाद शालाओं में पहुंचने वाले बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल पायेगा या फिर तैयार भोजन में बंदरबाट होगी। क्योंकि शिक्षकों की अनुपस्थिति पाकर छात्र-छात्राएं स्कूल से भाग जाएंगे। वहीं दोपहर में आने वाला मध्यान्ह भोजन इधर-उधर बांटा जा सकता है।
कोचिंग वालों की कमाई
जानकारी के अनुसार शिक्षकों के आंदोलन में जाने के बाद बच्चों के पालक पढ़ाई पूरा कराने के लिये कोचिंग का रास्ता अपनाने जा रहे है ताकि उनके नवनिहाल का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। अन्यथा बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम विपरीत आ सकते हैं।
पर्यटन का मौका
आंदोलन करने वाले शिक्षक अनेकोबार आंदोलन के दौरान धरनास्थल में पिकनिक वाला माहौल तैयार कर पर्यटन का सुख भोगते हैं। पढ़ाने के स्थान पर वे परिचितों के साथ राजधानी के प्रमुख बाजारों में घूमकर समय काटते है जो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और मोटी रकम तनख्वाह में लेने के बाद जिम्मेदारी से बचते दिखलाई पड़ते है।


