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शिक्षकों को रास आ गई कलेक्ट्रेट में बाबूगिरी, वापस स्कूल जाने में परहेज
मामला गवालियर कलेक्टरेट का है जहां पर 32 शिक्षक विभिन्न स्कूलों से चुनाव के समय बुलाये गए थे। लेकिन अब महीनों गुजर जाने के बाद भी यह शिक्षक कलेक्टरेट में जमे हुए हैं। जबकि मध्यप्रदेश में स्कूलों में परीक्षाएं नजदीक हैं

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: चुनाव आते ही शिक्षकों की ड्यूटी लगना आम बात है। चुनाव होता ही इतना बड़ा आयोजन है कि उसमें शिक्षा विभाग क्या अन्य सभी विभाग के कर्मचारी लग जाते हैं तब जाकर चुनाव सम्पन्न हो पाते हैं। लेकिन चुनाव के बाद अपने मूल विभाग में भी तो वापस जाना होता है। इसके उलट ग्वालियर में 32 शिक्षक कलेक्ट्रेट में ही ऐसे जम गए हैं कि उनको अब स्कूल जाने का मानों मन ही न हो। और सम्बंधित जिला शिक्षा विभाग व प्रशासन भी इस गड़बड़झाला पर चुप बैठा है।
मामला गवालियर कलेक्टरेट का है जहां पर 32 शिक्षक विभिन्न स्कूलों से चुनाव के समय बुलाये गए थे। लेकिन अब महीनों गुजर जाने के बाद भी यह शिक्षक कलेक्टरेट में जमे हुए हैं। जबकि मध्यप्रदेश में स्कूलों में परीक्षाएं नजदीक हैं, इन शिक्षकों की अनुपस्थिति से छात्रों का रिजल्ट बिगड़ सकता है। कलेक्ट्रेट में ऐसा क्या खास है कि इन शिक्षकों का यही मन लग गया है, या कहें कि इन शिक्षकों को यहां की बाबूगिरी इतनी रास आ गई है कि अब इनको पढ़ाने का कोई शोक ही नहीं रहा।आपको बता दें कि मध्यप्रदेश वैसे ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में इन शिक्षकों के मूल विभाग में वापसी को लेकर प्रशासन का यह रवैया समझ से परे है।
इस मामले में जब देशबंधु सम्वाददाता ने जिला शिक्षा अधिकारी से कारण जानना चाहा तो वह गोल मोल जवाब देते नजर आए। उन्होंने कहा कि जो शिक्षक कलेक्टर द्वारा कार्यमुक्त कर दिए गए है उनकी जानकारी सम्बंधित प्राचार्य से मांगी जाएगी। पढ़ाई प्रभावित होने के प्रश्न पर उन्होंने वैकल्पिक शिक्षकों के माध्यम से कोर्स पूरा करने व अच्छा परिणाम आने की उम्मीद जताई। हालांकि उन्होंने शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही की बात भी कही। लेकिन शिक्षकों की कमी से झूझ रहे शिक्षा विभाग ने अपने शिक्षकों को वापस स्कूल बुलाने में ऐसी लापरवाही कैसे करदी यह समझ से परे है।
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