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टीचर से किसान बने शख्स ने 'धान कला' के माध्यम से खेती को दिया बढ़ावा

केरल के जॉनसन ओलीप्पुरम (55) आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड में 13 साल तक अंग्रेजी के शिक्षक के तौर पर कार्यरत रहे

टीचर से किसान बने शख्स ने धान कला के माध्यम से खेती को दिया बढ़ावा
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तिरुवनंतपुरम। केरल के जॉनसन ओलीप्पुरम (55) आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड में 13 साल तक अंग्रेजी के शिक्षक के तौर पर कार्यरत रहे। शिक्षा के पेशे से इतने लंबे समय तक जुड़े रहने के बाद भी आखिरकार जॉनसन ने खेती शुरू करने का फैसला लिया। जॉनसन इस पेशे से इतनी ईमानदारी और मग्नता के साथ जुड़े रहे कि अब कोरोनाकाल में भी वह अपने खेतों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। वह चावल की विभिन्न किस्मों का संरक्षण कर रहे हैं और उनके पास इसकी 28 किस्में हैं।

इतना ही नहीं, युवाओं में कृषि, खासकर ऑर्गनिक फॉमिर्ंग को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अपने धान के खेत में एक जले हुए दीपक (दिए) की एक विशाल प्रतीकात्मक छवि बनाई है। इसे उन्होंने धान की रंग-बिरंगी किस्मों के साथ सजाया है।

जॉनसन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मैंने अपने धान के खेत में चार बहुरंगी किस्मों के चावल का उपयोग करके दीपक बनाया है। यह इस बात को साबित करने के लिए एक प्रतीकात्मक कदम है कि किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और हम कोविड की चुनौतियों को भी पार कर लेंगे।"

शिक्षक से किसान बने जॉनसन ने 20 सेंट में फैले अपने धान के खेत में दिए का निर्माण किया है। इसके लिए पहले उन्होंने एक रूपरेखा तैयार की और फिर इसमें चावल की विभिन्न किस्मों को बोया। उन्होंने ठीक इसी तरह से दिए के नीचे एक अशोक चक्र का भी निर्माण किया है।

कांग्रेस नेता और वायनाड सक सांसद राहुल गांधी ने उनके खेत का दौरा किया और इस धान कला की जमकर सराहना की।

धान की कला के लिए जिन चार किस्मों का उपयोग किया गया है, उनमें महाराष्ट्र का नसरबाथ, कलाबाथ और क्लरो चावल की किस्में शामिल रही हैं। इसके अलावा इस कला के लिए काक्शीकला का भी उपयोग किया गया है।

जॉनसन ने इसी खेत में चावल की 19 अन्य पारंपरिक किस्में भी उगाई हैं।

किसान ने कहा कि कोरोना से बाकियों की तरह किसानों को भी काफी परेशानी हुई है। इसके अलावा इस दौरान स्वास्थ्यवर्धक खानपान की तरफ भी लोगों ने गौर फरमाया है।

उन्होंने आगे कहा, "मेरी रक्तशाली चावल की किस्म के बारे में बहुत सारी जिज्ञासाएं हैं। इसमें कई सारे औषधीय गुण हैं। इसके अलावा, नजवारा चावल और कुछ अन्य किस्मों को लेकर भी लोग जानकारी हासिल करना चाहते हैं।"

जॉनसन कुल 10 एकड़ की जमीन पर खेती कर रहे हैं। इसमें से 20 फीसदी जमीन पर उन्होंने धान कला बनाई है, जो मुख्य सड़क से सटी हुई है। इससे लोगों को चावल की विभिन्न किस्मों के बारे में पता चलता है।


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